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1 August 2014
नाग पंचमी पर्व पर नाग देवता की पूजा
श्रावण मास की शुक्ल पंचमी के दिन नागपंचमी का पर्व परंपरागत श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनाया जाता है. इस दिन नाग को देवता के रूप में पूजा जाता है. नाग को हल्दी, कंकू, दूध एवं खीर चढ़ाई जाती है. इस दिन नागों के दर्शन भी शुभ माने जाते हैं. धार्मिक ग्रंथो मे देवाधिदेव महादेव गले का अलंकरण बनाते हैं. भगवान विष्णु शैय्या, प्रथम देव गणेश ने नाग को यज्ञोपवीत के रूप में धारण करते है. इस दिन शिव मंदिरों, घरो मे विशेष साफ़ सफाई और सज्जा की जाती है. घरो मे व्यंजन पकवान बनाये जाते है. कृषि व पर्यावरण के लिए उपयोगी है नाग देवता. नागपंचमी पर खेती के औजारों का पूजन करते है.
नागपंचमी के दिन कुंआरी लड़कियां तालाबों के किनारे गुड़िया व चने लेकर जाती हैं. इनके पीछे पीछे बेर का डंडा लेकर लड़के जाते हैं. लडकियां गुड़िए को पानी से भरे तालाब में फेंकती हैं. और लड़के इसे बेर के डंडे से पीटते हैं. गुड़िया पीटने वाले लड़कों में चना बांटा जाता है. इस तरह लड़कियां चना बांट लड़कों को मजबूत व बलिष्ठ बनने के लिए प्रेरित करती हैं. परंपरा में शामिल यह क्रिया वर्षो से होती चली आ रही है.आज भी कही कही लोग इस परंपरा को निभाते है.
कही कही गांवों में नागपंचमी के दिन कुछ खेल प्रतियौगिताए होती है. नाग देवता की पूजा के लिए बने लजीज व्यंजनों का आनंद लेते हैं. भारतीय संस्कृति में नाग का विशेष महत्व बताया जाता है. कालसर्प योग की पूजा के लिए भी नाग पंचमी का दिन शुभ मानते है. नागपंचमी पर चौरसिया समाज के लोग शोभायात्रा निकालते है. यात्रा मे नाग देवता और नागबेल माता की प्रतिमाओं की झांकी निकालते है.
भारतीय संस्कृति में नागों को देवता के समान माना गया है. पूर्ण श्रद्धा से इनका पूजन आदि किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि हमारी धरती शेषनाग के फन पर टिकी हुई है. ये धार्मिक रूप से ठीक है. नागपंचमी पर सर्प की जगह, शिव की, नाग देव की तस्वीर की, मोम या प्लास्टिक के बने नाग देव की पूजा भी हो सकती है. वैज्ञानिक और जीवनचक्र के रूप में देखा जाए तो सांप धरती पर जैविक क्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सांप प्रकृति का अनुपम उपहार हैं. साँप प्राकृतिक जीव है. अन्न के दुश्मन चूहों की 80 प्रतिशत आबादी को सांप नियंत्रित करते हैं. सांप भी बड़े प्रभावी ढंग से चूहों की आबादी को रोकते हैं. विषधर होने के बाद भी नाग देवता को दूध पिलाते हैं. कीड़े मकोड़े खाने वाले प्राणी को सपेरे बलपूर्बक दूध, खीर खिलाते. धार्मिक मान्यताओं के कारण सांपों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. देश में प्रतिवर्ष नागपंचमी पर लाखो सांप दूध पिलाने व पूजन में युक्त सामग्रियों के संक्रमण से मारे जाते हैं. सपेरों द्वारा सांपों के विषदंतों व विषग्रंथियों को अमानवीय व क्रूर तरीके से निकालने से सांपों के मुंह में घाव व सेप्टिक हो जाता है. मुंह का आंतरिक हिस्सा क्षतिग्रस्त रहता है.