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11 April 2019 Updated: Apr 12

ई टेंडर घोटाला में प्राथमिकी दर्ज, तीन हुए गिरफ्तार

ईटेंडर घोटाला रिपोर्ट दर्ज

भोपाल: राज्य में व्यापम के बाद एक और बड़ा घोटाला सामने आया. राज्य सरकार ने ई टेंडर घोटाले में कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. बुधवार को राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो(ईओडब्ल्यू) ने कंपनियों पर मामला दर्ज किया. ईओडब्ल्यू की यह पूरी कार्रवाई कंप्यूटर इमर्जेंसी रेस्पॉन्स टीम(सीईआरटी) की रिपोर्ट में टेम्परिंग की पुष्टि होने के बाद की गई है. ईओडब्ल्यू ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए 13 हार्ड डिस्क भेजी थी. इसमें से तीन में टेंपरिंग की पुष्टि हो चुकी है. टेम्पर्ड टेंडर शिकायत के बाद रद्द किए जा चुके हैं.

जल संसाधन, जल निगम मर्यादित और पीडब्ल्यूडी के अलावा प्राइवेट कंपनी के संचालकों, अज्ञात नेताओ पर भी रिपोर्ट दर्ज की गई है. व्यापमं से भी बड़े ई-टेंडरिंग घोटाले में लगभग 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले की आंशका है और कांग्रेस ने अपने विधानसभा के चुनावी वचन-पत्र में ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच और दोषियों को सजा दिलाने का वादा किया था.

कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड, सलाहकार आरके मिगलानी, कक्कड़ के करीबी अश्विन शर्मा के ठिकानों पर आयकर टीम ने छापे मारे थे. इसके बाद से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि राज्य सरकार ई-टेंडरिंग घोटाला, विज्ञापन घोटाला और अन्य मामलों में कार्रवाई कर सकती है.

ई-टेंडर शिवराज सरकार के कार्यकाल के दौरान जनवरी से मार्च 2018 के बीच निकाले गए थे, इसमें हैदराबाद और मुंबई तक की कंपनियां शामिल है जिसमे इन कंपनियों को फायदा पहुँचाने का आरोप है.

इस मामले में आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 120बी, और 66 आईटी एक्ट, सात सी और प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 2018 की धारा 13(2) के तहत प्रकरण दर्ज किया है. प्रशासकीय व वित्तीय स्वीकृति जारी करने वाले राजनेता और ब्यूरोक्रेट्स भी इसमें आरोपी हैं.

घोटाले में हैदराबाद की कंस्ट्रक्शन कंपनियों- जीवीपीआर लिमिटेड, मैक्स मेंटेना लिमिटेड, मुंबई की कंस्ट्रक्शन कंपनियां- ह्यूम पाइप लिमिटेड, जेएमसी लिमिटेड, बढ़ौदा की कंस्ट्रक्शन कंपनी- सोरठिया बेलजी प्राइवेट लिमिटेड, माधव इन्फ्रो प्रोजेक्ट लिमिटेड और भोपाल की कंस्ट्रक्शन कंपनी राजकुमार नरवानी लिमिटेड के संचालकों, भोपाल स्थित साफ्टवेयर कंपनी ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक शामिल हैं. एमपीएसईडीसी, मप्र के संबंधित विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारियों के साथ ही एंट्रेस प्राइवेट लिमिटेड बंगलुरू और टीसीएस के अधकिारी एवं कर्मचारी शामिल हैं.

आईटी कंपनी ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल के सर्वर का मेंटनेंस, नेटवर्किंग और हेल्पडेस्क सहित ज्यादातर काम एन्ट्रेस प्रा.लि. बेंगलुरू व टीसीएस के पास था. दोनों कंपनियों के अधिकारी कर्मचारी व डिजिटल सिग्नेचर जनरेट करने वाली भोपाल ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्रा. लि. के डायरेक्टर सहित एमपीएसईडीसी के अधिकारी कर्मचारी भी जांच के घेरे में हैं. इस मामले में ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्रा. लि. के तीन लोगो को गिरफ्तार किया गया है.

गौरतलब है कि ई-टेंडर सरकारी टेंडरों के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया बनाई गई थी. इसमें जिस विभाग के टेंडर होते थे, वहां टेंडर खोलने वाले अधिकारी और उससे जुड़े एक कर्मचारी का डिजीटल सिग्नेचर होता था. इनके अलावा कोई भी तीसरा व्यक्ति उसे बदलना तो दूर, टेंडर को खोलकर देख भी नहीं सकता था. मगर टेंडर प्रक्रिया में ऑनलाइन छेड़छाड़ की गई.

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