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5 November 2014

आत्मकथा 'प्लेइंग इट माइ वे' का विमोचन

प्लेइंग इट माय वे

मुंबई: भारत रत्न सचिन तेंदुलकर की बहुचर्चित आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माइ वे’ का बुधवार को मुंबई मे विमोचन हुआ. सचिन ने अपनी आत्मकथा की पहली प्रति अपनी मां के हाथो मे सौपी. इसके बाद तेंदुलकर ने अपने मेंटर और बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर को अपनी बेटी सारा की मौजूदगी में किताब की प्रति दी. सचिन ने इस किताब में अपने करियर के कई कहे-अनकहे लम्हों को शामिल किया है. क्रिकेट के कुछ छुपे हुए अनुभव उजागर किये.

सचिन तेंदुलकर ने अपनी आत्मकथा मे 2007 वर्ल्ड कप के दौरान ग्रेग चैपल ने उनका बल्लेबाजी क्रम बदलने की कोशिश की थी. उनकी इस आत्मकथा मे ग्रेग चेपल प्रमुख चर्चा का विषय है. समारोह मे क्रिकेटरों के अलावा तमाम हस्तियों ने शिरकत की और सचिन से जुडी यादो को दोहराया. वर्ल्ड कप से लौटने के बाद सचिन और चैपल के बीच मनमुटाव खुलकर सामने आ गया था और सचिन यह मामला बीसीसीआई तक लेकर गए थे.

खेल प्रदर्शन के दौरान ऐसे कई मौके आते है जब टीम को मजबूत करने के लिये कई कड़े कदम उठाना पड़ता है. कई बार बीसीसीआई ने अपने सीनियर खिलाड़ियों का पक्ष लेते हुए कोचों को बाहर का रास्ता दिखाया है. कई बार तो सीनियर खिलाड़ियों ने टीम पर पड़ रहे खराब असर से बचने के लिये कई साथी खिलाड़ियों को भी बाहर करना पड़ा. अपनी आत्मकथा 'प्लेइंग इट माइ वे' में सचिन ने चैपल के हवाले से लिखा है, 'राहुल द्रविड़ से टीम का नियंत्रण अपने हाथ में लेने में मेरी मदद करें. ताकि हम भारतीय क्रिकेट पर वर्षों तक नियंत्रण कर सकें.'

सचिन भारतीय क्रिकेट टीम के आस्ट्रेलियाई कोच ग्रेग चेपल पर पुस्तक मे जमकर बरसे. लिखा 'चैपल किसी रिंगमास्टर की तरह थे, जो खिलाड़ियों पर अपने विचार थोपते थे. चाहे खिलाड़ी के लिए वह सुविधाजनक हो या नहीं.'

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