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18 August 2015

एआईपीएमटी भोपाल वरद तीसरे नंबर

एआईपीएमटी भोपाल वरद तीसरे

भोपाल: सीबीएसई ने सोमवार को ऑल इंडिया प्री-मेडिकल/प्री-डेंटल टेस्ट(एआईपीएमटी) का रिजल्ट घोषित किया. आईआईटी-जेईई के बाद अब बाद अब एआईपीएमटी में भी मध्यप्रदेश का परचम लहराया. रिकॉर्ड 23 दिन में परिणाम घोषित हुआ. हरियाणा के जींद से कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि के विपुल गर्ग ने टॉप किया है. राजस्थान की खुशी तिवारी दूसरे नंबर पर रही. भोपाल के वरद पुणतांबेकर तीसरे नंबर पर रहे. मुरैना के प्रखर भारद्वाज 25वें स्थान पर रहे वहीं, ग्वालियर के अवनीश वशिष्ठ 23वें. इंदौर के जुड़वा भाई आयुष्मान और अभिज्ञान बिंदल ने दोहरी सफलता हासिल की. आयुष्मान ने ऑल इंडिया 14वी और अभिज्ञान ने ऑल इंडिया 26वीं रैंक अर्जित कर शहर का नाम रोशन किया. टॉप 30 में मध्यप्रदेश के वरद सहित छह छात्र जगह बनाने में सफल हुए हैं. एआईपीएमटी में 32,862 लडक़े और 32,073 लड़कियां पास हुई हैं. बोर्ड एआईपीएमटी की ओएमआर शीट और आंसर-की पहले ही जारी कर चुका है.

किसी का अपने भाई की तरह सिटी टॉपर बनने का सपना सच हुआ, तो किसी के लिए अपने अजीज को अचानक खो देना मेडिकल फील्ड में जाने की वजह बना. इसके अलावा कुछ ने महंगे होते मेडिकल ट्रीटमेंट के दौर में सस्ता और बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए मेडिकल फील्ड को चुना. यह सिटी लेवल पर टॉप पोजिशन हासिल करने वाले छात्रो ने कहा.

परीक्षा के लिए वरद ने 21 साल के पेपर सॉल्व किए थे. वरद ने कहा मैं रोज सुबह एक बार बैठकर पूरे दिन की पढ़ाई की प्लानिंग करता था, फिर उसी प्लान पर काम करता था. कोचिंग के साथ-साथ सेल्फ स्टडी पर सबसे ज्यादा फोकस किया. इस दौरान पिता अजय पुणतांबेकर ने भी पढ़ाई में काफी मदद की. उन्होंने कुछ टॉपिक आइडेंटिफाई करके दिए. उस पर मैंने मेहनत की. पापा की वजह से मैं कई प्रश्न हल कर पाया हूं और ऑल इंडिया में थर्ड रैंक हासिल कर पाया हूं. मैंने रोज 13 से 14 घंटे पढ़ाई की. वरद पुणंताबेकर के लिए सफलता की राह आसान नहीं रही. कड़ी मेहनत के अलावा बेहतर प्लानिंग के जरिए वरद ने यह मुकाम हासिल किया है. रिजल्ट के बाद बेहद उत्साहित वरद अपनी सफलता का श्रेय बेहतर प्लानिंग को देते है. तैयारी के दौरान एक दिन भी दिन ऐसा नहीं गया जब उन्होंने तयशुदा प्लानिंग के मुताबिक पढ़ाई नहीं की. वरद ने अपना समय बचाने के लिए सोशल मीडिया से दूरी बनाई रखी, उनके शिक्षक अनिल अग्रवाल ने भी उनकी काफी मदद की.

विपुल ने 720 में से 695 अंक हासिल कर टॉप किया है. 17 वर्षीय विपुल गर्ग के पिता बैग विक्रेता हैं. दसवीं में उन्होंने परफेक्ट 10 सीजीपीए हासिल किए थे. इसके बाद आगे की पढ़ाई निशुल्क ही की. वहीं 688 अंकों के साथ खुशी दूसरे स्थान पर रहीं. 17 वर्षीय खुशी के माता-पिता पेशे से डॉक्टर हैं. उसका पहले ही जोधपुर के एम्स में एडमिशन हो चुका था. अब वह दिल्ली में पढ़ना चाहती हैं. वरद इस समय एम्स दिल्ली में एमबीबीएस कोर्स जॉइन कर चुके हैं. उनके पिता अजय पुणतांबेकर बिजनेसमैन और मां क्षमा स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. इंदौर के आयुष्मान बिंदल ने 14वां और अभिज्ञान बिंदल ने 26वां स्थान प्राप्त किया. मुरैना के प्रखर भारद्वाज 25वें नंबर पर रहे पिता एमपी शर्मा प्रोफेसर माता राजेश्वरी शिक्षक. ग्वालियर के अवनीश वशिष्ठ 23वें नंबर पर रहे पिता रामअवतार वशिष्ठ पॉलिटिशियन माता नीलम जनपद अध्यक्ष है. पिछले साल बिहार की तेजस्विन झा ने 682 अंक हासिल कर टॉप किया था.

सामान्य श्रेणी में मेरिट का कट ऑफ जहां 63% रहा, वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए यह 45% और 40% रहा. स्टेट पीएमटी और एम्स जैसे संस्थानों में एडमिशंस हो चुके हैं. ऐसे में वेटिंग लिस्ट में से एडमिशन होना तय है. ऐसे में ऑल इंडिया कोटे से एडमिशन का कट-ऑफ और भी नीचे जा सकता है.

एआईपीएमटी-2015 से 15% ऑल इंडिया कोटे के तहत 3,722 सीटें भरी जाएंगी मेरिट के साथ-साथ चार गुना बड़ी वेटिंग लिस्ट भी तैयार है. कुल 18,610 उम्मीदवारों की सूची में से हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, अंडमान-निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, ओडिशा, राजस्थान, चंडीगढ़ और दिल्ली के राज्य कोटे, एएफएमसी, पुणे, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी और जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी में भी इसी परिणाम के आधार पर एडमिशन होंगे. इस वर्ष ऑल इंडिया कटऑफ 540 और स्टेट का 453 रहा है. 430 रैंक तक मिल सकता है एडमिशन इस बार एक्जाम भले ही आसान रहा हो, लेकिन कटऑफ पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा है. इस वर्ष शहर से उन स्टूडेंट्स का सेलेक्शन ज्यादा हुआ, जिन्होंने 12वीं के साथ तैयारी की.

व्यापक अनियमितताओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 3 मई को आयोजित परीक्षा रद्द कर दी थी. तब सीबीएसई ने 25 जुलाई को दोबारा परीक्षा आयोजित की. 50 शहरों में 1,065 केंद्रों पर हुई परीक्षा में 6.32 लाख उम्मीदवारों में से 3.74 लाख ने ही परीक्षा में भाग लिया था. हाईटेक नकल रोकने के लिए पहली बार जैमर तक का इस्तेमाल किया गया था. ड्रेसकोड तय किया गया था. सख्ती की वजह से कुछ छात्र परीक्षा नहीं दे सके थे.

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