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2 August 2015

बीयर बार मालिक को महामंडलेश्वर उपाधि

महामंडलेश्वर उपाधि पर विवाद

इलाहाबाद: यूपी के इलाहाबाद में अखाड़ा परिषद ने एक बिल्डर और बीयर बार मालिक को महामंडलेश्वर बनाकर विवाद खड़ा कर दिया. इस उपाधि को लेकर अखाड़ा परिषद में हड़कंप मचा हुआ है. सच्चिदानंद गिरी को प्रयाग में महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई. अखाड़ा परिषद ज्ञानदास गुट ने इसे संन्यास परंपरा का मजाक बताते हुए सच्चिदानंद को महामंडलेश्वर बनाने की कड़ी आलोचना की है. आरोप लग रहे हैं कि पैसों के दम पर बिल्डर सचिन दत्ता को महामंडलेश्वर की पदवी दी गई. सूत्रों का कहना है कि सचिन पर करोड़ों रुपये का कर्ज है और इन्हीं से बचने के लिए सचिन धर्म का गलत इस्तेमाल कर रहा है. इस मामले के वजह से संतों की तपोभूमि तीर्थराज प्रयाग एक बार फिर चर्चा में आ गया है, संतों के ही बीच, शुक्रवार को यहां महामंडलेश्वर की पदवी पाने वाले सच्चिदानंद पर उंगली उठने के बाद अखाड़ा परिषद ने उनसे जुड़े तथ्यों की पड़ताल का फैसला लिया है. इतना ही नहीं महामंडलेश्वर बनाए गए स्वामी सच्चिदानंद गिरि का समारोह में मंच से नहीं बोलना और मीडिया से लगातार बचने की कोशिश करना भी कई लोगों को काफी अखरा है. सचिन मूल रूप से गाजियाबाद के निवासी है.

सचिन दत्ता ऊर्फ महामंडलेश्वर सच्चिदानंद गिरि को अखाड़ा परिषद ने इलाहाबाद में पूरे ताम-झाम और रीति-रिवाज के साथ महामंडलेश्वर की पदवी से नवाजा. निरंजनी अखाड़े के सचिव और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने खुद सच्चिदानंद का पट्टाभिषेक किया. हेलीकाप्टर से पुष्पवर्षा के बीच गुरु पूर्णिमा पर कार्यक्रम पट्टाभिषेक हुआ था. मठ बाघंबरी गद्दी प्रांगण में संपन्न पट्टाभिषेक समारोह भव्यता लिया हुए था. इसमें संत-महात्माओं संग प्रदेश के केबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव और पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह भी मौजूद थे. लेकिन सचिन के महामंडलेश्वर सच्चिदानंद बनने के अगले ही दिन ये मामला विवादों में आ गया है.

संत समाज में महामंडलेश्वर का पद बहुत ऊंचा और सम्मानित माना जाता है. अखाड़ों में महामंडेलश्वर बनाने की प्रक्रिया अत्यंत कठिन है. संन्यासी जिस अखाड़े का महामंडलेश्वर बनते हैं उससे कम से कम दस वर्ष का जुड़ाव होना चाहिए. धर्मशास्त्र का ज्ञान, निर्विवाद एवं सनातन धर्म के प्रति समर्पण को परखकर ही अखाड़ा के महामंडलेश्वर की पदवी दी जाती है. कुंभ पर्व में होने वाली पेशवाई व शाही स्नान में अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर के साथ महामंडलेश्वर रथ पर सवार होकर निकलते हैं. चांदी के सिंहासन में विराजमान होकर रत्‍‌न जड़ित छत्र उनकी शोभा बढ़ाती है. कुंभ स्थलों पर महामंडलेश्वर के लिए अलग से शिविर की व्यवस्था होती है. प्रशासन उनका विशेष ध्यान रखते हुए सुरक्षा व्यवस्था भी मुहैया कराता है.

सचिन पर आरोप लगा कि सच्चिदानंद गिरि नाम के तीस साल के यह युवा संत दिल्ली से सटे गुड़गांव के एक रसूखदार बिजनेसमैन परिवार से ताल्लुक रखते हैं. सचिन दत्ता नोएडा के बड़े बिल्डर हैं. नोएडा में उनका बीयर बार और डिस्को भी है. बालाजी कंस्ट्रक्शंस के नाम से इनका रियल एस्टेट कारोबार है. नोएडा, गाजियाबाद और हरिद्वार समेत तमाम दूसरे शहरों में भी उनके परिवार का कारोबार है. अब देखना ये है कि अखाड़े की जांच में सचिन का कौन सा सच सामने आता है. नरेंद्र गिरि का कहना है कि यदि बार उनके परिवार के लोग चलाते हैं तो इसमें सच्चिदानंद कहां से दोषी हो जाएंगे. संत का घर-परिवार से कोई संबंध नहीं रह जाता है.

सचिन अग्नि अखाड़ा के महामंडलेश्वर कैलाशानंद से पिछले 20- 22 साल से जुड़े हैं. सचिन को महामंडलेश्वर बनाने की सिफारिश कैलाशानंद और नरेंद्र गिरि ने की थी. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि कहते हैं कि कैलाशानंद के सानिध्य में उन्होंने संन्यास लिया था और उनका नाम सच्चिदानंद ब्रह्माचारी पड़ा. कैलाशानंद की अनुसंशा से ही उन्हें निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया. गिरि के समर्थकों ने दावा किया है कि वह कई साल से संन्यासी हैं. लेकिन अगर इनकी तस्वीर पर गौर फरमाए तो रईसी ठाठ और ऐश-ओ-अराम की जिंदगी जीने वाले सच्चिदानंद गिरि कब संन्यासी बने इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

विवाद बढ़ने पर निरंजनी अखाड़े के सचिव नरेंद्र गिरि ने कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी और अगर सचिन कारोबारी गतिविधियों में लिप्त पाए गए तो उनकी पदवी वापस ले ली जाएगी. निरंजनी अखाड़ा के नव नियुक्त महामंडलेश्वर सच्चिदानंद गिरि के मामले की जांच के लिए महंतों की चार सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है. यह टीम उनके व्यावसायिक व परिवारिक रिश्तों की पड़ताल करेगी. जांच निष्पक्ष एवं पूरी गहराई से हो, उसके लिए छह माह का समय तय दिया गया है. जांच टीम अपनी रिपोर्ट निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर व अखाड़ा परिषद अध्यक्ष को सौंपेगी. उसी के अनुरूप सच्चिदानंद के भविष्य का फैसला होगा. रविवार को चार महंत को सच्चिदानंद से जुड़ी हर जानकारी एकत्रित करने के लिए लगाया गया है. महंतों की पहचान गुप्त रखी गई है. यह सच्चिदानंद के उनके पारिवारिक सदस्यों से संबंध पर नजर रखेंगे.

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