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12 August 2015

गूगल के सीईओ बने सुंदर पिचाई

गूगल सीईओ सुंदर पिचाई

कैलिफोर्निया/दिल्ली: भारत में जन्मे 43 वर्षीय सुंदर पिचाई दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल के सीईओ बन गए हैं. उनका असल नाम पिचाई सुंदराजन है. गूगल ने अपने ऑर्गनाइजेशन में दो बड़े फेरबदल किए हैं. पहला भारतीय मूल के सुंदर पिचाई को कंपनी का नया सीईओ(CEO) बनाया गया है. दूसरा गूगल ने नई पेरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक बनाई है. गूगल की सभी गतिविधियां अब इसी कंपनी के तहत संचालित होंगी. अल्फाबेट के सीईओ गूगल के फाउंडर लैरी पेज होंगे. आईआईटियन रहे सुंदर अब तक कंपनी में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट थे. चेन्नई में जन्मे सुंदर ने आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है. वे पिछले 11 साल 2004 से गूगल के साथ जुड़े हैं. उन्हें अच्छा मैनेजर माना जाता है. सुंदर पिचाई ने आईआईटी खड़गपुर से मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. गूगल ने सोमवार रात ये एलान किए.

सुंदर पिचाई चेन्नई में दो कमरों वाले घर में रहते थे. उनके परिवार में टीवी, टेलीफोन, कार कुछ भी नहीं था. मेहनत के बूते उन्हें आईआईटी खड़गपुर में एडमिशन मिला. यहां से इंजीनियरिंग करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की स्कॉलरशिप मिली. उस समय उनके घर की माली हालत इतनी खराब थी कि सुंदर के एयर टिकट के लिए उनके पिता को कर्ज लेना पड़ा था.

पिछले साल ट्विटर और माइक्रोसॉफ्ट ने भी उन्हें अपने पाले में लेने की कोशिश की थी. टेक दुनिया में ऐसी भी खबर रही है कि सुंदर पिचाई को माइक्रोसाफ्ट के सीईओ पद पर नियुक्त करने की बात चल रही थी, सत्या नडेला के साथ-साथ पिचाई भी इस लिस्ट में शामिल थे लेकिन आखिरकार सत्या नडेला को सीईओ पद के लिए माइक्रोसॉफ्ट ने चुना. ट्विटर ने 2011 में पिचाई को जॉब ऑफर किया था. लेकिन गूगल ने उन्हें 50 मिलियन डॉलर(305 करोड़ रुपए) देकर रोक लिया था.

सुंदर पिचाई का जन्म 1972 में भारत के तमिलनाडु राज्य में हुआ. सुंदर पिचाई के पिता पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे जो एक ब्रितानी कंपनी जीईसी में काम करते थे. सुंदर की माँ स्टेनोग्राफर थीं. सुंदर पिचाई अपने स्कूल की हाई स्कूल क्रिकेट टीम के कप्तान थे. उनकी कप्तानी में टीम ने तमिलनाडु राज्य का क्षेत्रीय टूर्नामेंट जीता था. स्कूली शिक्षा ख़त्म करने के बाद सुंदर पिचाई को आईआईटी खड़गपुर में दाखिला मिला जहाँ इन्होंने मेटालर्जी में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. अमेरिका के स्टैनफ़र्ड विश्विद्यालय से इंजीनियरिंग में एमएस करने के बाद सुंदर ने सबसे प्रतिष्ठित बिज़नेस स्कूलों में से एक व्हार्टन से एमबीए भी किया. पढ़ाई पूरी करने के बाद पिचाई ने कन्सल्टिंग कंपनी मैकिन्ज़ी के प्रॉडक्ट मैनेजमेंट विभाग में कई सालों तक काम किया. 2004 में सुंदर पिचाई ने सर्च इंजन कंपनी गूगल ज्वाइन कर ली और दुनिया भर में फैले कंपनी के ग्राहकों के इस्तेमाल के लिए बनाए जाने वाले नए प्रॉडक्ट्स की ज़िम्मेदारी संभाली. सुंदर पिचाई ने जीमेल और गूगल मैप ऐप्स तैयार किए जो रातोंरात लोकप्रिय हो गए. सुंदर पिचाई ने गूगल के सभी प्रॉडक्ट्स के लिए एंड्रॉयड ऐप भी इजाद किया. उस समय वे प्रोडक्ट और इनोवेशन अफसर थे. सुंदर सीनियर वाइस प्रेसिडेंट(एंड्रॉइड, क्रोम और ऐप्स डिविजन) रह चुके हैं. पिछले साल अक्टूबर में उन्हें गूगल का सीनियर वीपी(प्रोडक्ट चीफ) बनाया गया था. इसके बाद इनका पूरा ध्यान गूगल के ब्राउज़र क्रोम पर रहा. एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम के डेवलपमेंट और 2008 में लॉन्च हुए गूगल क्रोम में उनकी बड़ी भूमिका रही है. सुंदर पिचाई रुबा इंक नामक अमरीकी कंपनी के सलाहकार बोर्ड में बतौर सदस्य मनोनीत किए गए थे.

गूगल के रीस्‍ट्रक्‍चरिंग अनाउंसमेंट में सीईओ लैरी पेज ने पैरेंट कंपनी का नाम अल्‍फाबेट रखने की वजह बताई. उन्‍होंने लिखा- हमें यह नाम इसलिए अच्‍छा लगा क्‍योंकि अल्‍फाबेट के मायने ग्रुप ऑफ लेटर्स(अक्षरों) से हैं, जो लैंग्‍वेज का बेस है. लैंग्‍वेज इंसान के सबसे अहम इनोवेशंस में से एक है. गूगल सर्च की भी मूल भावना यही है. उन्‍होंने यह नाम चुनने के पीछे दूसरी वजह यह बताई कि वे 'अल्‍फा-बेट' से इंस्पायर्ड हैं. अल्‍फा, यानी इन्वेस्‍टमेंट पर तय बेंचमार्क से ज्‍यादा रिटर्न मिलना. पेज के मुताबिक गूगल की सोच का यही आधार है.

लैरी पेज गूगल एक्स, गूगल बलून और गूगल ग्लास जैसे प्रोजेक्ट्स के प्लान मून-शॉट्स पर फोकस करना चाहते हैं. इसलिए वे गूगल सर्च इंजन की जिम्मेदारी किसी और को सौंपना चाहते थे. सुंदर लैरी के सबसे भरोसेमंद एग्जीक्यूटिव्स में से एक हैं. अक्टूबर 2014 तक पिचाई गूगल के सबसे पावरफुल एग्जीक्यूटिव्स में शामिल हो चुके थे. पिचाई गूगल से बाहर भी फेमस हैं. गूगल टूलबार, गूगल क्रोम, एंड्रॉइड और गूगल वॉइस सर्च जैसे प्रोजेक्ट्स पिचाई की देखरेख में ही लॉन्च हुए थे. गूगल अब 'स्लिम्ड डाउन' कंपनी बन गई है और यह अल्फाबेट इंक का हिस्सा होगी. उन्होंने कहा, 'सुंदर गूगल को और ज्यादा क्लीन और रिस्पॉन्सिबल बनाएंगे'. हालांकि, अल्फाबेट की जिम्मेदारी लैरी पेज और उनके साथी को-फाउंडर सर्गेई ब्रिन प्रेसिडेंट के रूप में संभालेंगे.

गूगल के को-फाउंडर लैरी पेज ने कहा, 'हमारा मानना है कि टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में जब लगातार रिवोल्यूशनरी आइडियाज़ आते हैं, तो आपके लिए कामकाज का दायरा बढ़ाना जरूरी हो जाता है'. पेज का इशारा इस ओर था कि चूंकि कंपनी अब सर्च इंजन के अलावा बाकी कई चीजों में इन्वेस्ट कर रही है, इसलिए गूगल से अलग एक पेरेंट कंपनी बनानी जरूरी है, जो सभी तरह के ऑपरेशन्स पर फोकस कर सके. यही सोचकर अल्फाबेट बनाई गई है. अल्फाबेट के तहत सबसे बड़ी कंपनी गूगल सर्च इंजन ही होगी, गूगल की रिसर्च यूनिट एक्स लैब अब अल्फाबेट के तहत काम करेगी, गूगल एक्स लैब ही सेल्फ ड्राइविंग कार, गूगल ग्लास और इंटरनेट बैलून टेक्नोलाॅजी पर काम कर रही है. इन्वेस्टमेंट यूनिट गूगल वेंचर्स भी अल्फाबेट का हिस्सा होगा, गूगल का हेल्थ एंड साइंस ऑपरेशन्स भी अल्फाबेट के तहत काम करेगा, इसके तहत अब तक गूगल ग्लूकोज़ सेंसिंग कॉन्टैक्ट लेंस जैसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही थी. गूगल ड्रोन डिलिवरी प्रोजेक्ट, फाइबर हाई स्पीड इंटरनेट, होम ऑटोमेशन यूनिट नेस्ट भी पेरेंट कंपनी के तहत आ जाएगी. गूगल के सारे शेयर्स अपने आप अल्फाबेट में कन्वर्ट हो जाएंगे. गूगल अब अल्फाबेट की सब्सिडियरी कंपनी होगी. सर्च एंड सर्च एड्स, गूगल मैप्स, जीमेल, ऐप्स, यूट्यूब, एंड्रॉइड और बाकी टेक्निकल इन्फ्रास्ट्रक्चर अब गूगल के तहत काम करेंगे.

कंपनी के इन अनाउंसमेंट से इन्वेस्टर्स ने एक घंटे में 1.28 लाख करोड़ कमाए. गूगल के रीस्ट्रक्चरिंग अनाउंसमेंट के बाद कंपनी के शेयर्स में जोरदार उछाल देखने को मिला है. सोमवार को नैस्डैक पर लिस्टेड गूगल के शेयर्स 6.20% चढ़कर 673 डॉलर पर क्लोज हुए. आखिरी एक घंटे की ट्रेडिंग के दौरान गूगल के मार्केट कैप में 2000 करोड़ डॉलर यानी 1.28 लाख करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है. इसका सीधा फायदा गूगल के इन्वेस्टर्स को हुआ.

सुंदर पिचाई की याददाश्त ज़बरदस्त तेज बताई जाती है. कहा जाता है कि जब तमिलनाडु में इनके घर पर 1984 में पहली बार टेलीफ़ोन लगा था, तब सभी रिश्तेदार किसी दूसरे का नंबर भूल जाने पर सुंदर की याददाश्त का सहारा लेते थे. पिचाई को पेन्सिल्वानिया यूनिवर्सिटी में साइबेल स्कॉलर के नाम से जाना जाता था.

चेन्नई में जन्मे सुंदर ने राजस्थान की कोटा की रहने वाली अंजलि से शादी की. सुंदर को गूगल का सीईओ बनाने में अंजलि का बहुत बड़ा योगदान है, क्योंकि जब 2011 में ट्विटर ने जॉब ऑफर दिया था तो उनकी वाइफ ने ही उनको गूगल नहीं छोड़ने की सलाह दी थी. सुंदर और अंजलि दोनों ने आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की और फाइनल ईयर के दौरान ही सुंदर ने अंजलि प्रपोज किया था. इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद सुंदर आगे की पढ़ाई के लिए अमेरीका चले गए और तब अंजलि इंडिया में ही रह रही थीं. अमेरिका जाने के बाद उनके पास इतने पैसे नहीं होते थे कि वो इंडिया कॉल करके अंजलि से बात कर सकें. कई बार ऐसा होता था कि वो छह महीने तक बात नहीं कर पाते थे. अमेरिका में पढ़ाई पूरी करने के बाद सुंदर ने सेमीकंडक्टर फर्म ज्वाइन किया और अंजलि के माता-पिता से परमिशन लेकर शादी की. इसके बाद दोनों अमेरिका चले गए. सुंदर की एक बेटी और एक बेटा है.

सुंदर पिचाई को दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल के नए सीईओ बनने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी.

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