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7 August 2015
मतदान नहीं करने पर 100 रू जुर्माना
अहमदाबाद: मतदान को अनिवार्य करने वाला देश का पहला राज्य बना गुजरात. सरकार ने निकाय चुनावों में वोटिंग को अनिवार्य करते हुए वोट नहीं देने वाले लोगों पर 100 रुपये का जुर्माना लगाने के फैसले को मंजूरी दी. सरकार ने पिछले साल नवंबर में ही निकाय चुनावों में सौ फीसदी मतदान को अनिवार्य कर दिया था लेकिन जुर्माना तय नहीं हुआ था. सरकार के इस फैसले के बाद वोटिंग प्रतिशत में इजाफा होने की उम्मीद जताई जा रही है. सरकार ने अनिवार्य मतदान का कानून तो बहुत पहले ही पारित कर दिया था लेकिन लगातार नियमों को लेकर असमंजस बना रहा. अब अगर स्थानीय चुनावों में बिना किसी वाजिब कारण के आपने वोट नहीं डाला तो 100 रुपये जुर्माना के साथ-साथ सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित हो सकते हैं. इन चुनावों में मतदान अनिवार्य किये जाने की घोषणा राज्य में पंचायत, ग्रामीण आवास और ग्रामीण विकास मंत्री जयंतीभाई कवाडिया ने की.
मतदान किन-किन सूरतों में न करने पर छूट मिल सकती है, सरकार ने करीब 12 कारण बताए हैं, जिनके तहत मतदान न करने पर कोई जुर्माना नहीं भरना पड़ेगा. इन नियमों में ज्यादातर स्वास्थ्य संबंधी हैं. अगर वोटिंग के दिन बीमार हो तो उसे वोट न डालने पर कोई जुर्माना नहीं देना होगा. इसके अलावा अगर किसी जरूरी काम से विदेश या राज्य से बाहर गए हों तो भी वोटिंग न करने की छूट मिल सकेगी. शिक्षा से जुड़े कारण भी माने जाएंगे, जैसे कि शिक्षा से जुड़ी कोई जरूरी वजह हो तो भी छूट मिल सकती है. इसके लिए जो लोग पढ़ाई, एंट्रेंस या नौकरी के लिए किसी परीक्षा में व्यस्त हैं या फिर उनका कहीं इंटरव्यू हो. इसके साथ ही शादी, अंतिम संस्कार में या फिर मतदान की तारीख से पहले जो लोग दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हों इन लोगों को भी छूट मिलेगी. केंद्र, राज्य सरकार या प्राइवेट सेक्टर के तहत नौकरी करने वाले लोग, जिनका चुनाव से पहले ट्रांसफर किया गया हो. वोटिंग वाले दिन गुजरात में मौजूद न हों तो.
अगर स्थानीय चुनाव में वोट नहीं डाला तो पहले एक माह का नोटिस दिया जाएगा. इस पर कारण बताने होंगे. अगर कारणों से सरकार संतुष्ट नहीं हुई तो जुर्माना देना पड़ेगा. हालांकि इन नियमों को बहुत कड़क नहीं कहा जा सकता. अमीर लोगों को वोट न देने की स्थिति में ज्यादा कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन अगर गरीब व्यक्ति वोट न दे तो उसके लिए यह जुर्माना भारी पड़ सकता है.
पिछले कई सालों से गुजरात निकाय चुनावों में मतदान प्रतिशत 50 से 60 फीसदी के आस-पास रहा. सरकार ने वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने और अधिक से अधिक लोगों को वोट करने के लिए प्रेरित करने के लिए सरकार ने वोटिंग को अनिवार्य करने का फैसला किया था. हालांकि, इसके लिए गुजरात सरकार को कड़ी आलोचनाओं से भी गुजरना पड़ा था.
गुजरात सरकार के इस फैसले के बारे में मंत्री जयंतीभाई कवाडिया ने बताया कि स्थानीय चुनावों में वोटिंग अनिवार्य करने वाले प्रावधान से जुड़े गुजरात स्थानीय प्राधिकार कानून(संशोधन) कानून, 2009 के तहत छूटों तथा नियमों को उनके विभाग ने मंजूरी दे दी है. एक सरकारी अधिकारी ने बताया, 'पहले 500 रुपये का जुर्माना तय किया गया था लेकिन उसके बाद विपक्ष के जबरदस्त विरोध के डर के चलते जुर्माने को घटाकर 100 रुपये कर दिया गया'.