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30 May 2015
न्यू बैंक नोट पेपर लाइन फैक्ट्री का उद्घाटन
होशंगाबाद: केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को 'न्यू बैंक नोट पेपर लाइन' फैक्ट्री का उद्घाटन किया. फैक्ट्री का उद्घाटन होशंगाबाद प्रतिभूति कारखाने में हुआ. लॉजिस्टिक हब और एसपीएम में नोट के कागज बनाने की नई बैंक नोट कागज लाइन इकाई में 1000 रुपए के नोट पेपर तैयार किए जाएंगे. अब नोट के पेपर देश में ही तैयार होंगे, नोटों की छपाई देशी कागज मे हो सकेंगी. इस मौके पर जेटली ने देशी कागज पर छपे एक हजार रूपए के नोटों की 1000 मीट्रिक टन की पहली खेप को हरी झंडी दिखाकर नासिक के लिए रवाना किया. यहां से हर साल 6 हजार मिट्रिक टन कागज का उत्पादन किया जाएगा. इसके अलावा सिक्यूरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने बैंक नोट पेपर मिल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर एक संयुक्त उपक्रम के तहत मैसूर में 12 हजार टन की क्षमता वाली पेपर मशीन की दो अतिरिक्त लाइनें लगाई गई हैं, जिनमें इस वर्ष के अंत तक व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो जाएगा. इस प्रकार नोटों के लिए देशी कागज की छपाई की कुल क्षमता 18 हजार टन हो जाएगी. समारोह को वित्त मंत्री अरूण जेटली ने उद्घाटन संबोधित किया. उन्होंने इस काम में सुरक्षा और भरोसे की द्रष्टि से होशंगाबाद को कारखाने के लिए चुना. वित्त मंत्री ने कहा कि इससे पहले छोटे नोटों के लिए कागज देश में ही बनना शुरू हुआ. हालांकि, यहां से कम मूल्य वाले एक, दो और पांच रूपए के नोट के लिए कागज का उत्पादन होता रहा है. लेकिन बड़े नोटों के लिए भारत अब भी विदेशों पर निर्भर था. फैक्ट्री मे ऑनलाइन क्वालिटी निगरानी का तंत्र लगाने के साथ एक परीक्षण प्रयोगशाला भी बनाई गई है, जिससे नोटों के कागज की गुणवत्ता पर निगरानी रखी जा सके.
न्यू बैंक नोट पेपर लाइन कारखाने मे अत्याधुनिक सुरक्षा सिस्टम है, जिससे फैक्टरी द्वारा पर्यावरण प्रदूषित नहीं होगा. यह बहुत कम पानी और बिजली से कागज बनाएगी. वर्तमान में नोटों की छपाई के लिए कागज आयात किया जाता है जबकि इसमें इस्तेमाल होने वाली स्याही देश में ही बनती है. वित्त वर्ष 2013-14 में नोटों के लिए कागज आयात पर 1688.21 करोड़ रुपए खर्च किए गए. न्यू बैंक नोट पेपर लाइन का शिलान्यस 17 दिसंबर, 2011 में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने किया था तथा इसके तैयार होने तक पूरी परियोजना पर 495 करोड़ रुपए का खर्च आया है.
इस मौके पर जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री के 'मेक इन इंडिया' अभियान की दिशा में ये एक महत्वपूर्ण कदम है. अब तक हमारे देश में करेंसी नोट पूरी तरह विदेशों पर निर्भर थे. उसके लिए विशेष प्रकार का कागज, स्याही और लगभग 10 प्रकार के सुरक्षा फीचर चाहिए थे, ताकि जाली करेंसी ना बढ़े. नोट छापने की कला भी हम विदेश से लेते थे, इसे स्वदेशी बनाने की पहल लगभग 45 साल पहले तत्कालीन वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने की थी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जेटली से मांग की कि कारखाने में स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने के प्रयास किए जाए. अब बड़े नोटों का कागज होशंगाबाद में बनेगा. कुछ दिन में होशंगाबाद में ऐसी दो और लाइनें लगाई जाएंगी.
होशंगाबाद के पवारखेड़ा में इस दौरान किसान महासम्मेलन भी हुआ. इसमें करीब 50 हजार से ज्यादा किसान शामिल हुए. नई पल्प लाइन इकाई के शुभारंभ के बाद हब का लोकार्पण किया गया. किसान सम्मेलन के दौरान किसानों को योजनाओं की जानकारी दी गई. इस अवसर पर रेशम रथ, पशु कल्याण रथ, मछुवा रथ, जल रथ तैयार किए गए, जिन्हें मुख्य अतिथियों द्वारा जिले के विभिन्न स्थानों पर भ्रमण के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. मुख्यमंत्री खेत तीर्थ योजना अंतर्गत कृषकों को राज्य के बाहर भ्रमण के लिए 2 कृषक दलों की बस भी तैयार की गई.
केन्द्रीय वित्त मंत्री जेटली के भोपाल आगमन पर स्टेट हेंगर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वागत किया. साथ मे स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, महापौर आलोक शर्मा, सांसद आलोक संजर, विधायक विश्वास सारंग, विधायक रामेश्वर शर्मा सहित कार्यकर्ताओं ने भी उनका स्वागत किया.