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29 November 2015
मप्र के मुख्यमंत्री के रूप में 10 साल पूर्ण
इंदौर: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 29 नवम्बर को अपने दस साल पूरे कर लिए हैं. ढाई साल में पहले उमा भारती फिर बाबूलाल गौर के सीएम पद से हटने के बाद शिवराज सिंह को पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया था. पार्टी को भी उम्मीद नहीं थी कि शिवराज सिंह इतनी लम्बी पारी खेल पायेंगे. भाजप आज से एक महीने तक सेवा पर्व अभियान चलाएगी. सेवा पर्व की शुरुआत जिला स्तर पर बैठकों के साथ शुरु हो जाएगी.
सबसे पहले मुख्यमंत्री इंदौर के खजराना स्थित गणेश मंदिर में आशीर्वाद लेने गए. जिसके बाद वो गुमाश्ता नगर स्थित मूक-बधिर केंद्र गए. जहां पहुंचकर उन्होंने गीता से मुलाकात की. इस दौरान मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह भी मौजूद थी, जिन्होंने अपने मोबाइल से तीनों की सेल्फी ली. उन्होंने ये ऐलान किया कि मूक-बधिर संस्था को सरकार की ओर से पांच लाख रुपए की मदद की जाएगी. साथ ही सभी मूक-बधिर बच्चों को सरकार अपने खर्चे पर बी.एड करवाएगी. जिसके बाद उन्हें नौकरी भी दिलवाई जाएगी. इतना ही नहीं साल भर के अंदर साइन लैंग्वेज में पढ़ाई भी शुरू करवाई जाएगी,
इसके बाद भोपाल में कैलाश जोशी और सुंदरलाल पटवा जैसे नेताओं की मौजूदगी में उनका अभिनंदन किया गया. शिवराज सिंह चौहान को रविवार को उनकी इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बधाइयां दी. कार्यक्रम में पार्टी के उपाध्यक्ष प्रभात झा, महासचिव और मध्यप्रदेश के प्रभारी विनय सहत्रबुद्धे, महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा, कैलाश जोशी, और प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने भी सम्बोधित किया.
गीता के साथ सेल्फी लेकर शिवराज ने मनाया 10 साल पूरे होने का जश्न. इस दौरान सीएम और उनकी पत्नी साधना सिंह ने गीता के साथ सेल्फी भी ली. पाकिस्तान से 15 साल बाद वतन लौटी गीता इन दिनों इंदौर के मूक-बधिर संस्थान में रह रही है.
शिवराज सिंह चौहान का जन्म 5 मार्च, 1959 को जैतगाँव, सीहोर ज़िला, मध्य प्रदेश में 'किरार राजपूत' परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम प्रेमसिंह चौहान और माता का नाम सुंदरबाई चौहान है. अपनी शिक्षा के अंतर्गत उन्होंने बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से स्नातकोत्तर(एम.ए.) दर्शनशास्त्र से किया और स्वर्ण पदक के साथ शिक्षा पूर्ण की. चौहान सन् 1975 में मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी बने. 1972 में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गये थे और फिर इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने आपात काल का विरोध किया और 1976-1977 के दौरान भोपाल जेल में बंद रहे. जन समस्याओं के लिए उन्होंने कई बार आन्दोलन किए और जेल यात्राएँ भी कीं.
शिवराज सिंह चौहान ने कभी कुंवारे रहने की प्रतिज्ञा की थी. लेकिन बाद में उनमें बदलाव आया और 1992 में उन्होंने साधना सिंह से विवाह किया. श्री चौहान के दो बेटे हैं
सन् 1977-1978 में शिवराज अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के संगठन मंत्री बने. सन् 1978 से 1980 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मध्य प्रदेश के संयुक्त मंत्री रहे. शिवराज सिंह चौहान 1980 से 1982 तक अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के प्रदेश महासचिव, 1982-1983 में परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य, 1984-1985 में भारतीय जनता युवा मोर्चा मध्यप्रदेश के संयुक्त सचिव, 1985 से 1988 तक महासचिव तथा 1988 से 1991 तक युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. 1990 में पहली बार शिवराज बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने और 1991 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद बनाये गए. ग्यारहवीं लोक सभा में वर्ष 1996 में शिवराज सिंह विदिशा संसदीय क्षेत्र से पुन: सांसद चुने गए. चौहान 1998 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से ही तीसरी बार बारहवीं लोक सभा के लिए सांसद चुने गए. शिवराज सिंह 1999 में विदिशा से ही चौथी बार तेरहवीं लोक सभा के लिए सांसद निर्वाचित हुए. तब से वर्ष 2004 तक लगातार पांच दफे तक चौहान इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे.
1988 मे जब शिवराज पहली बार युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने थे तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार के शासन और जुल्मों के विरोध में एक मशाल जुलूस का आयोजन किया. उन्होने राजमाता सिंधिया से आग्रह कर इस जुलूस के नेत्रत्व करने की बात कही, तब प्रदेश मे भाजपा के तत्कालीन नेत्रत्व के सामने दो बड़ी चुनोतियां सामने आ गईं कि क्या राजमाता सिंधिया, नाना जी देशमुख और कुशाभाऊ ठाकरे के कद और गरिमा के हिसाब से समर्थन जुट पाएगा? ऐसे मे शिवराज ने ग्रामीण क्षेत्रो से 40000 किसानों के आने कि बात कहकर पूरे पार्टी नेत्रत्व को सहमा दिया, परंतु जब 7 अक्टूबर 1988 को भोपाल में जुलूस निकला तब भोपाल आने वाली सारी सड़के ट्रैक्टर, ट्रक, जीप और बैलगाड़ियों से अटी पड़ी थीं. उनकी संख्या चालीस हज़ार से कही ज्यादा थी और दो दिन तक मशाल जुलुस में आए ग्रामीणों का भोपाल से लौटना बदस्तूर जारी रहा, 7 अक्टूबर के दिन ही राजमाता सिंधिया ने शिवराज के सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया और ऐलान किया कि यह लड़का राजनीति मे बहुत आगे जाकर देश को नई दिशा प्रदान करेगा.
शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक गुरू और पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा कहते हैं कि शिवराज का व्यक्तित्व दक्ष प्रशासक का है. जिसे विरासत में बीमारू राज्य मध्यप्रदेश मिला. अनुभवहीन प्रशासक की आशंकां थीं. लेकिन, शिवराज ने दिन के 20 से 22 घंटे लगातार काम करके योग्य प्रशासकों की टीम खड़ी कर ली. प्रदेश में विकास की उपलब्धियों का नया इतिहास रच डाला.
सांसद के रूप में 1996-1997 में नगरीय एवं ग्रामीण विकास समिति, मानव संसाधन विकास विभाग की परामर्शदात्री समिति तथा नगरीय एवं ग्रामीण विकास समिति के सदस्य रहे. सन 2000 से 2003 तक शिवराज सिंह भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. चौहान 2000 से 2004 तक संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे. इस दौरान वे सदन समिति(लोकसभा) के अध्यक्ष तथा भाजपा के राष्ट्रीय सचिव रहे. उन्हें साल 2005 में भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया.
शिवराज सिंह चौहान 29 नवम्बर, 2005 को पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. दूसरी बार शिवराज चौहान को 10 दिसंबर 2008 को भारतीय जनता पार्टी के 143 सदस्यीय विधायक दल ने सर्वसम्मति से नेता चुना गया. उन्होंने 12 दिसंबर 2008 को भोपाल के जंबूरी मैदान में एक भव्य शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. जिसके बाद 2013 में वो एक बार फिर मुख्यमंत्री का चुनाव जीतकर प्रदेश के मुखिया बनकर सामने आए.
शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में दो उपलब्धिया हासिल की. पहला उन्होंने इस रविवार 29 नवंबर को बतौर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में बागडोर संभाले 10 साल हो गए, जबकि दूसरा उन्होंने सोमवार को रचा है, जब वे मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा दिनों तक रहने वाले सीएम हो जाएंगे. इससे पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह दूसरे ऐसे सीएम हैं, जो शिवराज के बाद सबसे ज्यादा दिनों तक सीएम रहे, लेकिन अभी शिवराज के शासन के तीन साल और बाकी हैं, जबकि राज्य में 2018 में विधानसभा चुनाव होने हैं.
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को शासन में आए 12 साल हो चुके हैं जबकि बतौर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री के रूप में 29 नवंबर 2005 को बाबूलाल गौर के हाथों से प्रदेश की सत्ता अपने हाथों में ली थी और तब से प्रदेश की बागडोर शिवराज सिंह के हाथों में ही है. वर्ष 2003 में भाजपा की सत्ता आने के बाद उमा भारती आठ दिसंबर 2003 से 22 अगस्त 2004 तक मुख्यमंत्री रहीं और बाद में बाबूलाल गौर 29 नवंबर 2005 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. बाबूलाल गौर को इसलिये मुख्यमंत्री पद से हटना पडा क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के कथित अपमान के एक मामले में हुबली जेल से रिहा होने के बाद उमा भारती ने पार्टी से उन्हें पुन: मुख्यमंत्री पद देने की मांग की थी. लेकिन पार्टी द्वारा उनकी यह मांग नहीं मानी गई और परिणामस्वरुप करीब पंद्रह साल के लंबे राजनैतिक जीवन के बाद चौहान को सीधे मुख्यमंत्री पद की कमान हासिल हुई.
उन्होंने हजारो की तादाद में कई कन्याओं का कन्यादान किया और सामूहिक विवाह कराये. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होने कन्यादान योजना बनाकर माताओं के भाई और बेटियों के मामा बनकर स्वयं कि छवि एक मामा मुख्यमंत्री के रूप मे स्थापित कर ली जो आज तक जारी है. उनके काल मे भ्रूण हत्या को रोकने के लिए महत्वाकांछी लाड़ली लक्ष्मी योजना और बेटी बचाओ अभियान आयी जो अब तक देश का कोई बड़ा कानून भी संभव नहीं कर पाया है. गांव की बेटी योजना, जननी सुरक्षा एव जननी प्रसव योजना, स्वागतम लक्ष्मी योजना, उषा किरण योजना, तेजस्विनी, वन स्टॉप क्राइसेस सेंटर, लाडो अभियान, महिला सशक्तिकरण योजना, कन्यादान एवं निकाह योजना, शोर्य दल का गठन, छात्राओं के लिए मुफ्त पाठ्य पुस्तके, साइकिल, विभिन्न छात्रव्रतियाँ और नगरीय निकाय मे 50 प्रतिशत महिला आरक्षण कर महिला सशक्तिकरण कि दिशा में काम किये.
हालांकि उनके कार्यकाल के दौरान सरकारी भर्तियों और चिकित्सा पाठ्यक्रमों के प्रवेश में हुए व्यापमं घोटाले, पेटलावद हादसा तथा लोकसभा सीट पर उपचुनाव में हार जैसी चुनौतियां भी उनके सामने आयी हैं.