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16 November 2015
कोर्ट सुनवाई कंप्यूटर पर फैसला हुआ ईमेल
मदुरै: जरूरतमंदों की आवाज सुनने के मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने एक अनोखी नजीर पेश की है. हाईकोर्ट ने शायद पहली बार किसी मामले की सुनवाई वीडियो चैट के जरिए की. जज ने स्काइप की मदद से एक जरूरी याचिका पर घर बैठे सुनवाई की. फैसले की कॉपी ईमेल के जरिए भेजी. मामला तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले से जुड़ा है, जहां एक चर्च में शादी के दौरान सुरक्षा प्रदान किए जाने संबंधी महत्वपूर्ण याचिका की सुनवाई के लिए जज ने शनिवार रात 8 बजे वीडियो चैट की सुविधा ली. याचिका दाखिल करने वाले एम जेशु ने दावा किया कि पुलिस की गड़बड़ी की वजह से उन्हें अदालत का सहारा लेना पड़ा, लेकिन समय कम था, इसलिए उन्होंने जज साहब को सभी कागजात स्कैन करके ई-मेल पर भेज दिए. जज ने पुलिस को शादी समारोह की सुरक्षा का आदेश जारी कर दिया. मामला शादी से जुड़ा था और कोर्ट के फैसले के बाद यह शादी आराम से पुलिस सुरक्षा में संपन्न हुई.
सुनवाई में मदुरै से सरकारी वकील एस. चंद्रशेखर और दूसरी तरफ के पन्नीरसेल्वम ने दलीलें पेश कीं. चंद घंटों की सुनवाई के बाद ही जस्टिस वैद्यनाथन ने एम. जेसू और उसके परिवार के पक्ष में फैसला सुना दिया. मेल के जरिए फैसले से जुड़ा आदेश पहले जस्टिस रामा सुब्रह्मण्यम और फिर रात आठ बजे तक संबंधित पक्षों के पास पहुंच भी गया.
जज ने घर बैठे पुलिस को आदेश दिया कि वह समारोह की सुरक्षा सुनिश्चित करे. विवाह समारोह का आयोजन चर्च के बाहर नहीं होना चाहिए. याचिकाकर्ता और चर्च के प्रतिनिधियों के बीच किसी बात पर विवाद था, जिसकी वजह से शादी में परेशानी आ रही थी. याचिकाकर्ता के मुताबिक पुलिस भी चर्च के अधिकारियों का ही साथ दे रही थी.
दरअसल, दिवाली की वजह से अधिकतर जज छुट्टी पर थे. मुदरै पीठ के न्यायाधीश एस वैद्यनाथन ने हाईकोर्ट के प्रशासनिक जज वी रामा सुब्रह्मण्यम के निर्देश पर स्काइप के जरिए घर बैठे याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस वैद्यनाथन ने हाईकोर्ट की बेंच के एडमिनिस्ट्रेटिव जज वी रामा सुब्रमण्यम की सलाह पर इस केस की सुनवाई वीडियो चैट साइट स्काइप के जरिये की.
मामला तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के ओडईकल गांव के अडईकला माथा चर्च में एम. जेसू की शादी होनी थी. शादी से कुछ दिन पहले तक सब ठीक चल रहा था. लेकिन फिर अचानक चर्च प्रशासन और दूल्हे के परिवार में किसी बात पर झगड़ा हो गया. मामला बढ़ने पर पीड़ित परिवार सुरक्षा की गुहार लगाते हुए पुलिस के पास पहुंच गया पर पुलिस ने सुरक्षा देने से मना कर दिया. पुलिस का तर्क था कि आप चर्च को लिखित में दे चुके हैं कि अडईकला माथा चर्च किसी वजह से अगर जगह न दे सके तो आपको दूसरे चर्च में समारोह करने से ऐतराज नहीं होगा. इसलिए पुलिस ने कहा कि वे लोग कोई और इंतजाम कर लें.
'देर से मिला न्याय, न्याय नहीं होता' इस कहावत को मद्रास हाईकोर्ट ने चरितार्थ करके दिखाया है. इसे देश में इस तरह की अदालती कार्यवाही का यह पहला मामला बताया जा रहा है. इस मामले में जस्टिस वैद्यनाथन ने समय रहते कार्यवाही करके देश के सामने नई मिसाल पेश कर दी.
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