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7 October 2015

पहले अंग प्रत्यारोपण के लिए थमा ट्रैफिक

मप्र पहला अंग प्रत्यारोपण

इंदौर: सड़क हादसे में ब्रेन डेड व्यक्ति रामेश्वर के परिजन ने जरूरतमंदों को अंग देने का निर्णय लिया. डाक्टर और प्रशासन मदद करने के लिए आगे आए. लिवर 855 किमी दूर गुड़गांव के मेदांता अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टरों ने कम से कम समय में लिवर को शरीर से अलग किया, प्रशासन ने शहर के बड़े मार्ग को ग्रीन कॉरिडोर बनाया. पुलिस जवानों ने चोइथराम अस्पताल से एयरपोर्ट तक की 10.4 किमी की दूरी 8 मिनट में तय की. इंदौर शहर ने ट्राफिक रोककर जिंदगी को रास्ता दिया. गुड़गाव के मेदांता अस्पताल से चार डॉक्टरों की टीम इंदौर के चोइथराम अस्पताल पहुंची थी. सवा 11 बजे टीम ने रामेश्वर का लिवर हार्वेस्टिंग(शरीर से अलग) किया और टीम एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई. मृतक को ग्राम बारुड के पास हुई दुर्घटना के बाद सोमवार को इंदौर के लिए रेफर किया गया था.

प्रदेश में पहली बार आर्गन ट्रांसप्लांट के लिए शहर में ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. यानी मानव अंग को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए ट्रैफिक को थाम दिया गया. संभागायुक्त ने लिवर ले जाने के लिए चोइथराम अस्पताल से महू नाका, राज मोहल्ला, बड़ा गणपति होते हुए एयरपोर्ट तक के रास्ते को 'ग्रीन कॉरिडोर' घोषित कर दिया था. महू नाका, गंगवाल बस स्‍टैंड और एयरपोर्ट रोड पर कुछ देर के लिए यातायात बाधित हुआ. शहरवासियों के लिए यह कौतुहल का विषय रहा. मुख्यमंत्री के दौरे के अनुरूप यातायात प्रबंधन रखा गया. यह इंदौर के लिए एतिहासिक क्षण रहा. इस दौरान सड़क पर यातायात पूरी तरह रोक दिया गया था.

सड़क दुर्घटना में ब्रेन डेड घोषित करते ही परिजन ने कहा, इनके अंग किसी के काम आएं तो दे दो. खेतों और कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी करने वाले खरगोन के बलवाड़ी के रहने वाले 40 वर्षीय रामेश्वर दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गए थे. हालांकि शरीर के अंग काम कर रहे हैं. उसके ठीक होने की संभावना नहीं थी. 6 घंटे तक रामेश्वर का शरीर निगरानी में रखा गया. सुबह फिर जांच हुई. 10.22 मिनट पर डॉक्टरों ने उसे दोबारा ब्रेन डेड घोषित किया था. रामेश्वर के तीन बच्चे हैं. उसके 2 लड़के और 1 लड़की है.

मृत रामेश्वर का लिवर मेदांता हास्पिटल गुडगाँव में ट्रांसप्लांट किया गया. किडनियां खंडवा के दो मरीज संजीव जॉन और शारदा को दी गईं. आंखें इंदौर में एक गुमनाम मजदूर को दी गयी.

प्रदेश के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी अंग को ट्रांसप्लांट के लिए ले जाते वक्त ऐसा कदम उठाया गया. एम्बुलेंस जहां-जहां से गुजरी लोगों ने उसे रास्ता दिया. इंदौर के देवी अहिल्या एयरपोर्ट से साढ़े 12 बजे जेट एयरवेज की फ्लाइट से रामेश्वर का लिवर विशेष तरह के बॉक्‍स में रखकर दिल्ली रवाना किया गया. दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर करीब दो बजे विमान लैंड हुआ. रामेश्वर का लिवर मात्र दो घंटे में इंदौर से गुड़गांव के मेदांता अस्पताल पहुंचा दिया गया. जहां उसे 55 वर्षीय महिला को प्रत्यारोपित किया गया. सुरक्षा के लिए 100 जवानों की तैनाती की गई.

अभी तक यह प्रयोग दिल्ली, मुंबई, चेन्‍नई, पुणे और बेंगलुरु में किए जा चुके हैं. अब इस मामले में इंदौर देश का छठा और प्रदेश का पहला शहर बना. इंदौर के साथ ही प्रदेश के मेडिकल क्षेत्र में बुधवार का दिन इतिहास के पन्नों पर गौरवमयी इबारत के साथ दर्ज हुआ. प्रदेश में पहली बार लिवर को ट्रांसप्लांट करने के मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया.

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