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12 October 2015
कवि जोशी ने लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार
भोपाल: कवि राजेश जोशी ने सोमवार को साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया. पिछले दिनों दक्षिण भारत के प्रख्यात साहित्यकार एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में देशभर के करीब 25 साहित्यकारों ने यह पुरस्कार लौटा दिया है. राजेश जोशी मध्य प्रदेश के जाने-माने कवि और लेखक है. उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हो रहे हमलों के विरोध में साहित्य सम्मान लौटाने का फैसला लिया है. राजेश जोशी भोपाल के रहने वाले हैं. दूसरी ओर लेखक, आलोचक, संपादक और कवि मंगलेश डबराल ने भी पुरस्कार लौटा दिया है.
राजेश जोशी का जन्म 1946 में मध्यप्रदेश के नरसिंहगढ़ में हुआ था. उन्होंने कविताओं के अलावा कहानियां, नाटक और लेख भी खूब लिखे हैं. उन्हें शमशेर सम्मान, पहल सम्मान, मध्य प्रदेश सरकार का शिखर सम्मान और माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार के साथ साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित किया गया है. राजेश जोशी ने मध्यप्रदेश में कला और संस्कृति संस्थानों पर भी सवाल उठाते हुए कहा, 'प्रदेश में ऐसी सभी संस्थानों को संचालन ऐसे लोगों के हाथों में है, जिनका कला और संस्कृति से कोई सरोकार नहीं हैं'. राजेश जोशी ने विचारक कलबुर्गी, नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे और दादरी कांड का भी उल्लेख किया.
जोशी ने कहा कि देश में लेखकों पर हमले कर उनकी हत्याएं की गईं और सरकार मौन है. एक तरफ देश में जहां असहिष्णुता बढ़ रही है, वहीं अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले किए जा रहे हैं. इसके अलावा दादरी की घटना के बाद केंद्र सरकार का जो रवैया है, वह बताता है कि यह देश फासीवाद की ओर बढ़ रहा है. हम साफ तौर पर लोकतंत्र, सेक्युलरिज्म और आजादी पर खतरा मंडराता देख रहे हैं. हालांकि, पहले भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खतरे रहे हैं, पर इस सरकार के आने के बाद यह खतरा तेजी से बढ़ता दिखाई पड़ रहा है.
राजेश को वर्ष 2002 में उनकी कविता संग्रह 'दो पंक्तियों के बीच' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था. साहित्यकारों व लेखकों पर हुए हमले और देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में हाल में कई साहित्यकार और लेखक अपना विरोध दर्ज कराते हुए साहित्य सम्मान लौटा चुके हैं. पिछले एक सप्ताह में 15 साहित्यकारों ने अकादमी को अलविदा कहकर पुरस्कार लौटा दिया है. वहीं 10 साहित्यकारों ने भी देश का प्रतिष्ठित पुरस्कार लौटा दिया है. पुरुस्कार लौटने वालो की संख्या 25 तक पहुँच चुकी है.
दादरी कांड के विरोध में पिछले हफ्ते के दौरान शुरू हुए विरोध के कारण सबसे पहला नाम देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 88 वर्षीय भांजी नयनतारा सहगल का आया था. इसके बाद कवि अशोक वाजपेयी और मयाली लेखिका सारा जोसेफ, शशि देशपांडे, के सच्चिदानंदन, पीके परक्कादबु, उर्दू उपन्यासकार रहमान अब्बास, कश्मीरी भाषा के विद्वानों के संगठन अब्दी मरकज कमराज ने भी पुरस्कार लौटाने के फैसले को अपना समर्थन दिया है. इनके अलावा उदय प्रकाश, अमन सेठी, मंगलेश डबराल, गणेश देवी, एन. शिवदास, गुरबचन सिंह भुल्लर, अजमेर सिंह औलख आदि भी पुरस्कार लौटाने वालों में शामिल हैं.
इधर कन्नड़ लेखक अरविंद मालागट्टी ने भी रविवार को साहित्य अकादमी से इस्तीफा दे दिया है.
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉक्टर विश्वनाथ तिवारी ने साहित्यकारों के अकादमिक पुरस्कार लौटाने के फैसले को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि साहित्यकारों को पुरस्कार लौटाने की बजाय विरोध का दूसरा तरीका इख्तियार करना चाहिए.
कश्मीरी लेखक और कवि गुलाम नबी खयाल कहा कि देश में अल्पसंख्यक आज असुरक्षित और खतरा महसूस करते हैं.