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6 October 2015
चिकित्सा नोबेल पुरस्कार 2015 घोषणा
स्टॉकहोम(स्वीडन): चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार 2015 की घोषणा की गई. नोबेल पुरस्कारों की घोषणा इस पूरे सप्ताह जारी रहेगी. चीन, जापान और अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों को मलेरिया और अन्य उष्णकटिबंधिय बीमारियों से लड़ने के लिए प्रभावी दवाईयों की खोज करने के लिए इस वर्ष चिकित्सा के क्षेत्र में सम्मिलित रूप से नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा हुई. चिकित्सा के क्षेत्र में साल 2015 का नोबेल पुरस्कार आयरलैंड में जन्मे विलियम कैंपबेल, चीन की यूयू तू व जापान के सातोशी ओमुरा ने जीता है. नोबेल असेंबली ने स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट में सोमवार को यह घोषणा की. विलियम सी कैम्पबेल और जापान के सातोशी ओमूरा को गोल कृमि परजीवी से होने वाले संक्रमण की नई दवा बनाने के लिए, जबकि चीन की यूयू तू को मलेरिया के इलाज की नई थेरेपी में अहम योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा.
स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट स्थित नोबेल एसेंबली ने बताया कि कैम्पबेल और ओमुरा को राउंडवर्म परजीवियों द्वारा होने वाले संक्रमण का इलाज खोजने को लेकर आधी पुरस्कार राशि में बराबर-बराबर हिस्सा मिलेगा. कैम्पबेल और ओमुरा ने एक नयी दवाई एवेरमैक्टिन खोजी है, जिसके यौगिकों ने रिवर ब्लाइंडनेस और लिम्फैटिक फिलारिआसिस की घटनाओं को काफी हद तक कम करने में सफलता पाई है. यह अन्य परजीवी बीमारियों के खिलाफ भी प्रभावी है. परजीवी कृमियों द्वारा होने वाली इन बीमारियों से अफ्रीका और एशिया में लाखों की संख्या में लोग प्रभावित हैं. रिवर ब्लाइंडनेस नेत्र और त्वचा रोग है, जिससे अंतत: व्यक्ति की दृष्टि पूरी तरह खत्म हो जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, बीमारी के करीब 90 प्रतिशत मामले अफ्रीका में आते हैं.
चिकित्सा नोबेल पुरुस्कार की बाकी आधी राशि 84 वर्षीय यूयू तू को मिलेगी जिन्होंने मलेरिया के इलाज संबंधी खोज किए हैं. चीन की इस महिला वैज्ञानिक ने चीनी पारंपरिक प्राकृतिक दवाओं के आधार पर अपनी खोज की है. एक दवाई अर्टेमाइसिनिन खोजी है जिसके कारण मलेरिया से होने वाली मौतों में प्रभावी रूप से कमी आई है. उल्लेखनीय है कि मादा एनोफलीज मच्छरों से होने वाले रोग मलेरिया से हर साल दुनिया भर में लगभग 4.5 लाख लोग काल के गाल में समा जाते हैं और करोड़ों लोगों को इसके संक्रमण से गुजरना पड़ता है.
नोबेल पुरुस्कार देने वाली समिति ने कहा, इन दोनों खोजों ने मानवता को इन बीमारियों से लड़ने का नया शक्तिशाली तरीका दिया है, जिनसे हर साल लाखों लोग प्रभावित होते थे. इन चुनी गई हस्तियों को 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में आयोजित एक औपचारिक समारोह में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जाएगा. नोबेल शांति पुरस्कार देने के लिए 10 दिसंबर को ही ओस्लो में अलग समारोह का आयोजन किया जाएगा.