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30 October 2015
साईं बाबा का विवादित पोस्टर
भोपाल: साईं बाबा को देश और विदेश में लोग मानते हैं लेकिन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती उनका विरोध करते हैं. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने एक विवादित पोस्टर जारी किया. पोस्टर में हनुमानजी साईं बाबा को पीट रहे हैं और साईं बाबा पाकिस्तान जाने की बात कह रहे हैं. हनुमानजी साईं बाबा को पेड़ की शाख उखाड़कर पीट रहे हैं. शंकराचार्य ने राजधानी भोपाल में यह पोस्टर शुक्रवार को जारी किया है. साईं की पूजा धर्म सम्मत है या नहीं, सनातन धर्मावलंबियों को साईं की पूजा करनी चाहिए या नहीं. ये विवाद फिर से शुरू हो गया है. इस पोस्टर के जारी होने के बाद से विवाद की आशंका जताई जा रही है.
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के मुताबिक उनके महाराष्ट्र के किसी भक्त के सपने में हनुमानजी इस तरह साईं का विरोध करते नजर आए, इसलिए ऐसे पोस्टर छपवाए गए.
पोस्टर पर लोगों ने जब उनसे सवाल किया तो शंकराचार्य ने कहा कि वे साईं के विरोधी नहीं हैं. साईं के नाम पर फैलाए जा रहे पाखंड के खिलाफ हैं. लोग साईं के नाम पर मंदिर बनाकर लाखों-करोड़ों रुपए कमा रहे हैं और जनता को बेवकूफ बना रहे हैं. साईं मंदिरों के पास हनुमानजी के मंदिर बनाए जाएंगे.
स्वरूपानंद ने आगे कहा है कि इस मसले पर हिन्दू धर्म के अन्य धर्म गुरूओं को भी आगे आना चाहिए. इस बात का दुख है कि साईं के विरोध में वे अकेले हैं. उनके साथ कोई भी हिंदू धर्मगुरु नहीं खड़े हैं.
गौरतलब है की शंकराचार्य पिछले एक साल से साईं बाबा के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. शंकराचार्य के साईं के खिलाफ बयानबाजी के बाद कई साई भक्तों का उन पर गुस्सा भी फूटा और जगह-जगह प्रदर्शन भी हो चुके है. अब ये विवादित पोस्टर जारी किया फिर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं को ईश्वर मानने से इनकार कर दिया है और साईं को धर्म के नाम पर भ्रम करार दिया है.
शंकराचार्य का कहना है, आज मंदिरों में देवी-देवताओं की मूर्तियां साई के चरणों में रखी हुई हैं. सनातन धर्मियों के मंदिरों में देवताओं का यह अपमान है. रामनवमी के अवसर पर कई जगह पर लोग साई बाबा की शोभा यात्रा निकालते हैं. यह बात हमें बहुत खराब लगती है.
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का दावा है कि साईं मालेगांव के मुसलमान थे. साईं बाबा का नाम चांद मियां था. उनका जन्म 1838 और 1918 में मृत्यु हो गई. शंकराचार्य के मुताबिक भगवान इंसान के रूप में नहीं आते. वह जब भी आते हैं तो अवतार के रूप में. हमारे पुराणों में कही ऐसा नहीं लिखा कि भगवान किसी मुसलमान के घर में अवतार लेंगे.
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती 2 सितम्बर, 1924 को मध्य प्रदेश में जबलपुर के पास जन्मे द्वारका पीठ के धर्मगुरु हैं. वे 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ हुए भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा ले चुके हैं. जेल भी जा चुके हैं. एमपी के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह सहित कई बड़े नेता उनके शिष्य हैं. 1973 में उन्हें ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य बनाया गया. 1982 से द्वारका पीठ की गद्दी पर बैठे है.