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24 October 2015

अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का आगाज

धर्म-धम्म सम्मेलन उद्घाटन

इंदौर: सिंहस्थ-2016 के अंतर्गत तीसरे अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का उद्‍घाटन शनिवार सुबह हुआ. सम्मेलन का शुभारंभ लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन और सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दीप प्रज्‍वलित कर किया. विशेष अतिथि भूटान के विदेश मंत्री लोन्पो दोम्चो दोर्जी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाहक भैयाजी जोशी थे. विशेष संबोधन सर कार्यवाहक जोशी ने दिया. सम्मेलन के दूसरे दिन 25 अक्टूबर को जनता सत्र शाम 6 से 8 बजे तक होगा. इसमें विभिन्न देशों के विद्वान जनता के प्रश्नों का उत्तर देंगे. समापन सत्र 26 अक्टूबर को होगा. इसके अतिथि मुख्यमंत्री चौहान होंगे. समापन भाषण आर्ट ऑफ लिविंग के श्रीश्री रविशंकर देंगे.

सम्मेलन में दुनिया के सभी धर्मों के 100 से ज्यादा विद्वान तथा धर्मगुरू सम्मिलित होंगे. करीब एक हजार विशिष्ठ विद्वान शामिल होंगे. इस सम्मेलन में सभी के लिए नामांकन और प्रवेश निशुल्क है. तीसरे अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का उद्घाटन धर्म से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के लिए किया गया है.

लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन ने अपने संबोधन में कहा कि आज पूरा विश्‍व एक ग्लोबल फैमेली है. वे मुख्यमंत्री के प्रवचन के बाद अपनी बात कह रही हैं. उन्‍होंने एक किस्‍से का जिक्र करते हुए कहा कि एक बार उनसे स्वामी आत्मानंद ने कहा था सिंहस्थ विचारों का सिंहस्थ है. सिःहस्थ वैचारिक महाकुंभ है. दुनियाभर की समस्या की चर्चा हर 12 साल में होती है. वैचारिक महाकुंभ के जरिये दुनिया भर की शांति की बात कर रहे हैं. क्‍लाइमेट चेंज को हमने धर्म से जोड़ा है. जीवन के विज्ञान को धर्म से जोड़ा है.

भूटान के विदेशमंत्री ने इस अभिनव आयोजन में आमंत्रित करने के लिए सरकार का आभार जताया. उन्‍होंने कहा कि भारत चार धर्मो की जन्मस्थली है. हिंदू व बौद्ध धर्म में बहुत समानता है. हम समग्र खुशहाली में भरोसा रखते हैं.

भैयाजी जोशी ने कहा कि केवल शरीर का स्‍वस्‍थ होना पर्याप्‍त नहीं मन भी ऐसा ही होना चाहिये. उन्‍होंने भी धर्म की महत्‍ता को परिभाषित करते हुए इसे मानव कल्‍याण से जोड़ा. हम सभी चाहते हैं कि मानव का कल्याण हो सभी आनंद कै साथ रहें. सभी संघर्ष से मुक्त हों यही मानव कल्याण की प्रमुख शर्त है. परस्पर सहयोग से संघर्ष विवाद समाप्त हो जाते है. इसके बिना कोई सुखी नहीं रह सकता. धर्म कर्तव्यों का प्रगटीकरण करता है. ईश्वर की मान्यता को लेकर कोई संकट नहीं. संकट इसके स्वरूप को लेकर है. मेरा भी एक मार्ग है कहेंगे तो संघर्ष नहीं लेकिन मेरा ही एक मार्ग है ऐसा कहेंगे तो विवाद उत्पन्न होगा.

मुख्यमंत्री ने अपने स्‍वागत संबोधन में कहा कि जिन समस्याओं का निदान राजनीति से नही होता उनका समाधान धर्म कर सकता है. सबसे बड़ा धर्म मानव कल्‍याण है. मनुष्‍य के लिए आज भौतिक नही आध्यात्मिक शांति की आवश्‍यकता है. उन्‍होंने कहा कि सम्‍मेलन में मानव कल्‍याण पर चर्चा होगी. मूल्य आधारित जीवन पर विचार करेंगे. आयोजन में संतों का आना मेरे लिए गौरव की बात है. धर्म प्रतिनिधि एक जगह जुट कर समस्‍याओं का समाधान कर सकते हैं. धर्म से जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव संभव है.

उद्घाटन सत्र में अतिथियों की सूची से धर्मगुरु कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती शामिल नहीं हुए. सीएम ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि शंकराचार्य अस्वस्थ होने के कारण यहां नहीं आए. इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में अमेरिका, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, भूटान, श्रीलंका, कम्बोड़िया, थाईलैण्ड, ताईवान, म्यांमार, नेपाल, सिंगापुर के विद्वान शामिल होंगे.

राज्य शासन के संस्कृति विभाग, सांची बौद्घ-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय और सेंटर फॉर स्टडी ऑफ रिलीजन एंड सोसायटी के तत्वावधान में आयोजित धर्म और आध्यात्म के वैश्विक समागम के उद्घाटन सत्र के बाद ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में विशेष सत्र होंगे. इसमें महाबौद्धि सोसायटी श्रीलंका के अध्यक्ष बनगला उपातिस्सा नायका थेरो और कैथोलिकोस ऑफ द ईस्ट एंड मलनकारा मेट्रो पोलिटन हेड ऑफ मलनकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च, केरल के बैसलियस मार्थोमा पौलुस-2 वक्ता होंगे. तीसरे सत्र में स्वामी परमात्मानंद सरस्वती, स्वामी विश्वात्मानंद और साध्वी चैतन्य प्रज्ञा, प्रो. जीडी सुमनापाला संबोधित करेंगे.

सम्मेलन की तैयारियों का जिम्मा शुक्रवार को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव वैद्य ने संभाला, सारी व्यवस्थाओं का जायजा लिया. उल्लेखनीय है कि 24 से 26 अक्टूबर के बीच आयोजित धर्मों के महाकुंभ में विश्व के सभी प्रमुख धर्मों के धर्मगुरु मौजूदा परिवेश और परिस्थितियों में धर्म की उपयोगिता और उपादेयता पर संवाद कर रहे हैं. तीन दिवसीय इस महाकुंभ में प्रतिदिन विभिन्न सत्रों का आयोजन है. मुख्य सत्र के साथ-साथ प्रतिदिन छह समानांतर सत्र भी आयोजित किए जाएंगे. 130 से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे.

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