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15 October 2015
पूर्व मुख्यमंत्री सिंह से नियुक्ति मामले में पूछताछ
भोपाल: पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से बृहस्पतिवार को पुलिस ने लगभग पांच घंटे तक पुलिस नियंत्रण कक्ष परिसर के एक बंद कमरे में पूछताछ की. मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय में नियम विरुद्ध नियुक्तियों के मामले में उनसे पूछताछ की गई. जहांगीराबाद नगर पुलिस अधीक्षक(सीएसपी) सलीम खान ने सिंह से सवाल पूछे. विधानसभा नियुक्ति मामले में उन्हें आरोपी बना गया है.
विधानसभा भर्ती मामले में पांच घंटे में दिग्विजय सिंह से पुलिस ने 94 सवाल पूछे, यह कुल 275 सवालों का निचोड़ थे, जो पुलिस ने तैयार किए थे. जिनका सिंह और उनके वकील अजय गुप्ता सीनियर ने जवाब दिया. सुबह लगभग ग्यारह बजे से शाम चार बजे तक सवाल जवाव चलते रहे.
यह मामला वर्ष 1993 से 2003 के बीच का है, जब दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे. इसी दौरान राज्य विधानसभा में नियक्तियों में कथित धांधली हुई थी.
सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस परिसर में एसपी, एएसपी, सीएसपी और टीआई सहित पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया था. कवरेज के लिए पहुंची मीडिया को बेरिकेड्स लगाकर कंट्रोल रूम से काफी दूर रोक दिया गया था. पुलिस कंट्रोल रूम और आसपास के इलाकों को छावनी में तब्दील कर दिया गया था.
दिग्विजय सिंह को विधानसभा फर्जी नियुक्ति मामले में पुलिस ने 25 सितंबर को नोटिस जारी किया था. श्री सिंह ने बयान दर्ज कराने के लिए 11 अक्टूबर के बाद की तारीख मांगी थी. फिर 15 अक्टूबर को जहांगीराबाद सीएसपी ने नोटिस भेजकर सिंह को रिकॉर्ड के साथ अपने ऑफिस बुलाया था.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि, अगर राजा साहब की गिरफ्तारी हुई, तो कांग्रेस पूरे प्रदेश में जेल भरो आंदोलन चलाएगी. वहीं, पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने कहा कि बदले की भावना से दिग्विजय सिंह पर कार्रवाई की जा रही है.
सिंह बुधवार को ही भोपाल पहुंच गए थे. उन्होंने श्यामाला हिल्स स्थित अपने आवास पर अपने समर्थकों से भेंट की. सिंह ने कहा कि राज्य सरकार से उनकी लड़ाई व्यक्तिगत है. पार्टी में किसी को भी परेशान होने की जरूरत नहीं है. मेरे कार्यकाल में कोई भी भर्ती अनियमित नहीं हुई. देश मे पहली बार कैबिनेट के निर्णय की जांच एक सीएसपी स्तर का अधिकारी कर रहा है. वे इस मामले में जमानत नहीं लेंगे. शिवराज सिंह चौहान का व्यापमं का दर्द सामने आ रहा है. वे ब्राम्हणों से भी नाराज हैं. व्यापमं मामले में लक्ष्मीकांत शर्मा, सुधीर शर्मा और इस नियुक्ति मामले में श्रीनिवास तिवारी के उदाहरण सामने हैं.
गौरतलब है कि कि 27 फरवरी को विधानसभा सचिवालय के सचिव एसएल मैथिल की शिकायत पर प्रदेश में कांग्रेस कार्यकाल में हुई नियम विरूद्ध नियुक्तियों के मामले में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था. इन भर्तियों के समय दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे और श्रीनिवास तिवारी तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष थे. वहीं इन आरोपों में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी को भी 3 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया गया था. दिग्विजय सिंह को मिलाकर एसआईटी फर्जी नियुक्ति के मामले में अब तक 19 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर चुकी है.
पूछताछ के दौरान दिग्विजय सिंह के समर्थक राज्य सरकार के खिलाफ तीखे आरोप लगाते हुए नारेबाजी करते रहे. इस दौरान कांग्रेसियों ने मुख्यमंत्री का पुतला दहन भी कर दिया गया और पुलिसकर्मियों खड़े रह गए. समर्थकों ने भारी हंगामा किया, पुलिस ने लाठियां भांजी. इस दौरान पुलिस और दिग्विजय के समर्थकों के बीच कई बार झड़प हुई. दिग्विजय के अंदर जाने से बाहर आने तक पूरे समय दिग्विजय सिंह जिंदाबाद के नारे लगते रहे.
श्री सिंह के साथ उनके सैकड़ों समर्थकों के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव व पूर्व अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया सहित कांग्रेस के कई दिग्गज नेता भी मौजूद रहे. इस दौरान उनके सुपुत्र जयवर्द्धन सिंह भी वहीं मौजूद रहे. कंट्रोल रूम परिसर में कांग्रेस नेता प्रेमचंद गुड्डु, प्रियव्रत सिंह, मुकेश नायक, नारायण सिंह अमलावे, रजनीश सिंह, अश्विन जोशी, विधायक जीतू पटवारी व अन्य लोग मौजूद थे.