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9 September 2015
'हिन्दी कल आज और कल' प्रदर्शनी का शुभारंभ
भोपाल: विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने 10वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में हिन्दी की विकास गाथा पर समर्पित प्रदर्शनी 'हिन्दी कल आज और कल' का मंगलवार को शुभारम्भ किया. उन्होंने दीप प्रज्ज्वलन कर प्रदर्शनी का शुभारंभ किया. प्रदर्शनी में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार और नई दिशा देने हिन्दी को बढ़ाने के लिए भविष्य की कार्य-योजनाओं को दर्शाया गया है. प्रदर्शनी उद्घाटन में राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूद थे. वही आज विदेश मंत्री स्वराज ने सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लिया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव और राजस्व मंत्री रामपाल सिंह ने भी प्रदर्शनी का अवलोकन किया.
हिन्दी प्रेमियों को इंटरनेट के माध्यम से प्रभावी अभिव्यक्ति के लिए हिन्दी में वेबसाइट बनाने की प्रक्रिया आसान बनाने वाली भारत सरकार की संस्था 'नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया(निक्सी)' ने एम.पी.पोस्ट डॉट ओआरजी के साथ मिलकर नि:शुल्क हिन्दी डोमेन नाम पंजीकृत करवाने की सुविधा दी है.
सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बड़ी कम्पनियों गूगल, सीडेक, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट ने हिंदी भाषा के लिए किये गये काम को प्रदर्शित किया है. वहीं कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियों ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन भी किया. प्रदर्शन में केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, साहित्य अकादमी, विज्ञान प्रसार, भारत ज्ञान कोष, वेब दुनिया, महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने हिन्दी को प्रोत्साहित करने वाले काम प्रदर्शित किये हैं.
हिंदी विवि वर्धा के स्टॉल पर महात्मा गांधी का लिखा खत और हिंदी के महान विद्वानों हरिवंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला समेत अन्य कवियों की हस्तलिखित रचनाएं रखी हैं.
हिंदी व संस्कृत में बोलने वाली श्रीमद् भागवत गीता भी प्रदर्शित की गई है. खास कोडिंग वाली इस किताब को मल्टीमीडिया प्रिंट रीडर मशीन की मदद से सुना जा सकता है. इस प्रदर्शनी में जहां विभिन्न प्रकाशनों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें प्रदर्शित की गईं.
विश्व हिंदी सम्मेलन में वर्ष 1511 से उपलब्ध एक हजार पांडुलिपियों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी. इसमें हिंदी के गौरवशाली विकास यात्रा की झलक दिखेगी. सम्मेलन का उद्देश्य दुर्लभ साहित्य से हिंदी प्रेमियों को रूबरू करना हैं. राजधानी में 10 सितंबर से होने जा रहे विश्व हिंदी सम्मेलन में पांडुलिपियों, समाचार पत्र-पत्रिकाओं की दुर्लभ संग्रह की प्रदर्शनी लगेगी.
पद्मश्री और भारतेंदु हरिशचंद्र पुरस्कारों से सम्मानित विजयदत्त श्रीधर ने बताया कि, दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन में श्रीमदभागवत, श्रीरामगीतावली, मुद्रालक्षण पद्धित, भावप्रकाश सहित भारतेंदु और दिवेदी युग के कहीं न मिल पाने दुर्लभ साहित्य को लोग करीब से देख पाएंगे. इस प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों का हिंदी भाषा के प्रति प्रेम बढ़ेगा, लोग यह जान सकेंगे कि हमारी हिंदी कितनी वैभवशाली और समृद्धशाली है.
इस अवसर पर विदेश मंत्री ने कहा कि तकनीक के क्षेत्र में हिंदी का असर बढ़ा है और वह किसी भी अन्य भाषा को टक्कर देने की स्थिति में है. गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, सीडैक, बीइंग जैसे सर्च इंजन एवं सॉफ्टवेयर कंपनियां हिन्दी का प्रयोग कर रही हैं. निराला, पंत, अज्ञेय जैसे विद्वानों का हिंदी रूपी ज्ञान का खजाना भी अब तकनीक में पूरी तरह ढल चुका है. हिंदी अब सिर्फ ज्ञान की नहीं विज्ञान की भाषा भी बन गई है. हिंदी दुनिया भर के 49 देशों में बोली जा रही है.
विश्व हिंदी सम्मेलन स्थल पर लगी दो प्रदर्शनी आम आदमी भी देख सकेंगे. इसके लिए उन्हें पास की जरूरत नहीं होगी. 9 से 14 सितंबर तक यह प्रदर्शनी खुली रहेगी. प्रधानमंत्री मोदी की गुरुवार को सम्मलेन में मौजूदगी के दौरान और 12 सितंबर को दोपहर 2 से शाम 6 बजे तक प्रदर्शनी में जनता का प्रवेश बंद रहेगा.
10वें विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन देश में 32 साल बाद हो रहा है. इसमें करीब पांच हजार लोग शामिल होंगे. तीन दिनों तक होने वाले इस सम्मेलन में अलग-अलग सभागृहों में चार समानांतर सत्र आयोजित होंगे. विश्व हिंदी सम्मेलनों की परंपरा 1975 में नागपुर में आयोजित प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन से शुरू हुई थी. अब तक ऐसे नौ सम्मेलन विश्व के विभिन्न देशों में आयोजित किए जा चुके हैं.