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13 September 2015

दसवे विश्‍व हिंदी सम्‍मेलन का समापन

विश्‍व हिंदी सम्‍मेलन समापन

भोपाल: तीन दिवसीय दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन का शनिवार को समापन हुआ. इस अवसर पर मुख्य अतिथि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने हिन्दी की महत्ता पर खुलकर अपनी बात रखी और हिंदी के महत्व को समझाया. समापन समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा है कि हिंदी भारत की राजभाषा के साथ संपर्क भाषा भी है. हिंदी भारतीय भाषाओं की बड़ी बहन है. इस अवसर पर हिंदी भाषा के विकास, सेवा और संरक्षण में सराहनीय योगदान देने वाले विदेश के 17 और देश के 18 हिंदी सेवियों को विश्व हिंदी सम्मान दिया गया. विद्वानों को अंगवस्त्रम्, शॉल, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. वहीं बालीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन निजी कारणों के चलते कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके. गृहमंत्री ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, राधेश्याम शर्मा और गिरीश उपाध्याय की पुस्तकों का विमोचन किया.

गृह मंत्री सिंह ने अगला विश्व हिंदी सम्मलेन वर्ष 2018 में मॉरिशस में आयोजित करने की घोषणा की. विश्व हिंदी सम्मेलन की शुरुआत साल 1975 में हुई थी. इसकी पहल पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने की थी. पहला विश्व हिंदी सम्मेलन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सहयोग से नागपुर में हुआ था. अब तक कुल दस सम्मलेन हो चुके है.

गृह मंत्री सिंह ने समापन समारोह को संबोधित करते हुए आगे कहा की आज भी हिंदी भारत की संपर्क भाषा है. उन्होंने नागालैंड के अपने एक चुनावी दौरे का किस्सा बताया. कहा कि नागालैंड में चुनावी सभा को जब वे अंग्रेजी में संबोधित कर रहे थे, तो वहां के लोगों ने शोर किया हिंदी में बोलें. वहां के लोगों ने टीवी, फिल्म और सेना के लोगों से हिंदी सीखी है. संयुक्त राष्ट्र संघ में संबोधन के बारे में उन्होंने बताया कि जब वे सांसद के रूप में वहां गए थे तो अपना अंग्रेजी का भाषण उन्होंने स्वयं हिंदी में अनुवाद किया और हिंदी में ही भाषण दिया. हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिकृत भाषा में शामिल होना चाहिए, क्योंकि यह दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा में से एक है. जब योग दिवस के लिए दुनिया के 177 देश का समर्थन प्राप्त किया जा सकता है तो हिंदी के लिए क्यों नहीं?

समारोह में अभिनेता अमिताभ बच्चन शामिल नहीं हो सके. आयोजन समिति के उपाध्यक्ष और सांसद अनिल दवे ने महानायक अमिताभ बच्चन की चिट्ठी पढ़कर सुनाई. दवे ने कहा कि सम्मेलन में नहीं आ पाने पर बच्चन साहब ने क्षमा मांगी है. गौरतलब है कि श्री बच्चन को समापन समारोह में भाग लेना था, लेकिन दांत की सर्जरी के कारण वे यहां नहीं आ पाए.

इस समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सम्मेलन से हिन्दी के प्रति सकारात्मक वातावरण बना है. हिन्दी को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार समाज के साथ मिलकर हरसंभव प्रयास करेगी. अंग्रेजी बोलने वाले को श्रेष्ठ समझने की मानसिकता को बदलना होगा. सरकार अपने स्तर पर हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस कदम उठाएगी. प्रदेश सरकार का हर काम काज अब हिंदी भाषा में ही होगा और अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय को अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप देने के प्रयास किए जाएंगे.

स्टेट हैंगर पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह का विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वागत किया. इस मौके पर उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, राजस्व मंत्री रामपाल सिंह, महापौर आलोक शर्मा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान, सांसद आलोक संजर, अरविंद मेनन मौजूद थे.

सम्मेलन के समापन समारोह में मंच पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री हर्षवर्धन, मॉरिशस की शिक्षा एवं मानव संसाधन, क्षेत्रीय शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री श्रीमती लीला देवी दूखन-लछुमन और राज्य सभा सांसद तथा विश्व हिंदी सम्मेलन की आयोजन समिति के उपाध्यक्ष अनिल माधव दवे भी उपस्थित थे.

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