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20 September 2015
नेपाल में नया संविधान लागू
काठमांडू(नेपाल): पडोसी मुल्क नेपाल के लिए आज रविवार का दिन ऐतिहासिक रहा. बरसों की राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसक संघर्षों के बाद आखिरकार नया संविधान जारी हो गया. नए संविधान को संसद से 17 सितंबर को पारित किया गया था. सात वर्षों की सियासी कशमकश और मशक्कत के बाद तैयार हुआ ऐतिहासिक संविधान. इस मौके पर काठमांडू में जनता के बीच ज़बर्दस्त उत्साह देखा गया. लोगों ने जगह-जगह देशभर में जश्न मनाया. राष्ट्रीय ध्वज लहराए, पटाखे छोड़े और एक दूसरे को मिलकर शुभकामनाएं दीं. इस खुशी को मनाने काठमांडो में अलग-अलग स्थानों पर जुलूस निकाले गए. संविधान सभा हाल के सामने भी लोग बडी संख्या में एकत्रित हुए थे. लोगों ने अपना स्वयं का संविधान मिलने की खुशी में सडकों को सजाया और मोमबत्तियां जलायीं. 67 वर्ष के लंबे समय तक चले लोकतांत्रिक संघर्ष के बाद निर्वाचित प्रतिनिधियों ने संविधान तैयार किया. भारतीय समय के मुताबिक, शाम पौने पांच बजे नेपाल की राजधानी काठमांडू में संसद भवन परिसर में एक ख़ास कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामबरन यादव ने नए संविधान के लागू होने की घोषणा की. जैसे ही राष्ट्रपति ने दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, सांसदों ने तालियाँ बजाकर अभिनंदन किया.
राष्ट्रपति राम बरन यादव ने संसद में संविधान को जारी करते हुए कहा, 'मैं संविधान सभा द्वारा पारित और संविधान सभा द्वारा अधिप्रमाणित नेपाल के इस संविधान को आज 20 सितम्बर 2015 से लागू किये जाने की घोषणा करता हूं'. एक हिमालयी देश एक हिंदू राजशाही से एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय लोकतंत्र के रुप में परिवर्तित हो गया. राष्ट्रपति ने उम्मीद जतायी कि संविधान लागू होने से देश में शांति और स्थिरता आयेगी और आर्थिक विकास एवं समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा. संविधान हम सभी के लिए हमारी स्वतंत्रता, आजादी, भौगोलिक अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने का एक साझा दस्तावेज है.
नया संविधान आने के साथ ही अंतरिम संविधान को रद्द कर दिया गया. राष्ट्रपति यादव ने कहा कि लागू किये गए नये 'संविधान 2072' ने देश में गणतंत्र को संस्थागत कर दिया है. संविधान सभा के कुल 601 सदस्यों में से 85 प्रतिशत ने नए संविधान का अनुमोदन किया है. संविधान सभा के अध्यक्ष सुभाष नेमवांग ने 507-25 के अंतर से संविधान को पारित करने की घोषणा की. नये संविधान के तहत दो सदनीय संसद का प्रावधान किया गया है. संसद के निचले सदन में 375 सदस्य होंगे, जबकि उपरी सदन में 60 सदस्य होंगे. हालांकि, अभी प्रांतों के नाम और क्षेत्र निर्धारित नहीं किए गए हैं.
हालांकि इस नए संविधान का कही-कही विरोध भी हो रहा है. देश के कई हिस्सों में नए संविधान को लेकर जारी विरोध के मद्देनजर कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है. राजधानी काठमांडू में भी सुरक्षा के कड़े इंतजामात किये गए. संविधान सभा ने नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाए जाने की मांग को ठुकरा दिया था. उसके बाद से ही कई हिंदू संगठन नए संविधान का विरोध कर रहे हैं. नए संविधान को लेकर हिंसा में कम से कम 40 व्यक्तियों की मौत हुई है, जिसमें आज हुई एक मौत भी शामिल है.
भारत से सटे हिमालय के तराई इलाकों में इस नए संविधान को लेकर विरोध हो रहा है. यहां का अल्पसंख्यक मधेसी समुदाय देश को सात प्रांतों में बांटने के विचार के खिलाफ है.