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24 September 2015
पीएम मोदी के गुरू दयानंद सरस्वती का निधन
ऋषिकेश: पिछले काफी समय से अस्वस्थ चल रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आध्यात्मिक गुरू स्वामी दयानंद सरस्वती का बुधवार रात निधन हो गया. वह 87 वर्ष के थे. दयानन्द आश्रम के न्यासी स्वामी शांतात्मानन्द सरस्वती ने बताया कि स्वामी दयानंद गिरी ने रात 10 बजकर 18 मिनट पर शीशमझाडी स्थित दयानंद आश्रम में अंतिम सांस ली. शुक्रवार को उन्हें नियमानुसार समाधि देने पर विचार चल रहा है. पीएम मोदी ने अपने आध्यात्मिक गुरु स्वामी दयानंद सरस्वती के निधन पर गहरा शोक जताया. दयानंद गिरि का अंतिम संस्कार शुक्रवार को ऋषिकेश में किया जाएगा.
स्वामी दयानंद सरस्वती की सेहत में लगातार आ रही गिरावट के कारण दिन में उन्हें जौलीग्रांट स्थित निजी हिमालयन अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष से यहां शीशमझाडी स्थित दयानंद आश्रम ले आया गया था. स्वामी गिरि को करीब दस दिन पहले अस्पताल में भर्ती किया गया था. गत 13 सितम्बर को हीमो डायलेसिस के लिए अस्पताल में भर्ती किये गये स्वामी के स्वास्थ्य में इस दौरान उतार चढाव होता रहा.
पीएम मोदी अपने गुरु की गिरती सेहत की खबर सुनकर बेचैन हो उठे थे और आनन-फानन में उनसे मिलने 11 सितंबर को ऋषिकेश गए थे. मोदी के स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ पुराने व्यक्तिगत संबंध भी रहे हैं. हिमायल यात्रा के दौरान मोदी की मुलाकात स्वामी दयानंद गिरी से हुई थी. इसके बाद उन्होंने लंबे समय तक शीशमझाड़ी के दयानंद आश्रम में उनसे आध्यात्म की शिक्षा ली. मोदी और दयानंद गिरि के बीच 16 साल पुराना रिश्ता है.
पीएम मोदी इस समय सात दिवसीय आयरलैण्ड और अमेरिका दौरे पर है प्रधानमंत्री ने न्यूयॉर्क पहुंचने के तत्काल बाद ट्विटर पर लिखा, स्वामी दयानंद सरस्वती जी का निधन निजी क्षति है. मैं ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं. मेरी संवेदनाएं उन अनगिनत लोगों के साथ हैं जो दयानंद सरस्वती जी से प्रेरित थे. वह ज्ञान, आध्यात्मिकता और सेवाभाव का असीम भंडार थे.
स्वामी दयानंद सरस्वती ऋषिकेष में दयानंद सरस्वती आश्रम और कोयंबटूर में अर्श विद्या गुरुकुलम के संचालक थे. वह शंकर परंपरा के वेदांत और संस्कृत शिक्षक हैं. जो करीब 50 सालों से देश और दुनिया में वेदांत की शिक्षा दे रहे हैं. उनके आश्रम से देशभर में सौ से ज्यादा शिक्षा के केंद्र चलाए जाते हैं. वे वेदांत के जरिए आज की समस्याओं का भी निदान निकाल लेते थे. यही वजह है कि मोदी के जीवन पर अपने गुरु का गहरा प्रभाव है. सोलह साल पहले भी मोदी ऋषिकेश के दयानंद आश्रम में आए थे. जब-जब मोदी के सामने कोई मुश्किल समस्या आई, तब-तब उन्होंने गुरु से ज्ञान लिया. शिक्षा और सेहत के लिए बेहतरीन काम करने के चलते दयानंद आश्रम को साल 2005 में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अवॉर्ड भी मिल चुका है. नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने बड़े आदर के साथ अपने गुरु दयानंद गिरि को गांधीनगर बुलाकर उनका भव्य स्वागत किया था.