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26 April 2016
त्रिकाल भवंता समाधी लेने गड्डे में उतरी
उज्जैन: सिंहस्थ महाकुंभ में बवाल मचा. कुंभ में व्याप्त अव्यवस्थाओं के खिलाफ साधु-संतों के तल्ख तेवर ने राज्य सरकार की मुसीबतें बढाई. परी अखाड़ा प्रमुख साध्वी त्रिकाल भवंता ने जिंदा समाधि लेने की घोषणा की. रणजीत हनुमान स्थित अपने शिविर के करीब 10 फुट गहरा गड्ढा खोदा गया है. वे गड्डे में समाधी लेने उतरी बढ़ी मिन्नतो के बाद मुश्किल से मानी. साध्वी त्रिकाल भवंता ने कहा था की अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे जिंदा समाधि लेंगी. वे सरकारी उपेक्षा से आहत हैं.
सिंहस्थ के अखाड़े हालात न सुधरने पर उज्जैन छोडऩे की चेतावनी दे चुके हैं. वही व्यवस्थाओं के विरोध में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद पहले ही सुविधाएं न सुधरने पर दूसरा शाही स्नान न करने का ऐलान कर चुका था.
परी अखाड़े की प्रमुख भवंता ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने अपने अखाड़े में सुविधाओं के साथ शाही स्नान के लिए भी समय की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे पूरा नहीं किया और इस कारण अब वह जिंदा समाधि लेने जा रही है. भवंता को सरकार से पुरुष अखाड़ा समान सुविधाएं नहीं मिली थी. सिंहस्थ कुंभ में केवल 13 अखाड़े ही अधिकृत माने जाते हैं, जिन्हें प्रशासन की ओर से सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं.
त्रिकाल भवंता ने कहा कि लिखित आश्वासन के बाद ही आंदोलन खत्म होगा. सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंची और साध्वी को आश्वासन देकर 24 घंटे का समय मांगा. अधिकारियों के आश्वासन पर त्रिकाल भवंता गड्डे से बाहर आईं. उन्होंने यह भी कहा कि अगर तय समय में भी मांगे पूरी नहीं हुई तो वे समाधी ले लेंगी.
अदालत ने भवंता को सुविधाएं देने के साथ अमृत स्नान के लिए समय निश्चित करने का आदेश दिया था. लेकिन मेला प्रशासन ने प्रथम अमृत स्नान में भवंता को कोई समय नहीं दिया और न ही अखाड़ा को सुविधा मुहैया करवाई. इसके चलते पिछले एक सप्ताह से उन्होंने अन्न्-जल का त्याग भी कर दिया. अस्वस्थ होने पर जिला अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती थीं. प्रभारी मंत्री भी गए किंतु बात नहीं बनी और भू-समाधि लेने की घोषणा कर दी. मंगलवार दोपहर वे आईसीयू से उठककर अपने शिविर पहुंची और खुदवाए गए गड्ढे में उतर गई. अनुयायियों ने उन पर मिट्टी भी डाली.