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21 December 2016
पर्यावरणविद अनुपम मिश्र पंचतत्व में विलीन
भोपाल: प्रख्यात पर्यावरणविद और गांधीवादी अनुपम मिश्र का सोमवार तड़के निधन हो गया. 68 वर्षीय मिश्र ने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली. वे करीब एक वर्ष से कैंसर से पीड़ित थे. जल संरक्षण पर लिखी गई उनकी किताब 'आज भी खरे हैं तालाब' देश-विदेश में काफी चर्चित रही. इसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है. इसके साथ ही उन्होंने पर्यावरण संरक्षण पर 'हमारा पर्यावरण' और 'राजस्थान की रजत बूंदें' भी लिखी हैं. ‘हमारा पर्यावरण’ देश में पर्यावरण पर लिखी गई एकमात्र किताब है. मिश्र का जन्म 1948 में मध्यप्रदेश में हुआ था. वे हिंदी के दिग्गज कवि और लेखक भवानी प्रसाद मिश्र के पुत्र थे.
अनुपम मिश्र का दिल्ली के निगमबोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. इससे पहले दिवंगत मिश्र का पार्थिव शरीर गांधी शांति प्रतिष्ठान में रखा गया, जहां पहुंचकर लोगों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. गांधी शांति प्रतिष्ठान से ही उनकी अंतिम यात्रा निगमबोध घाट के लिए रवाना हुई.
अनुपम मिश्र का अपना कोई घर नहीं था. वह गांधी शांति फाउंडेशन के परिसर में ही रहते थे. मिश्र गांधी शांति प्रतिष्ठान के ट्रस्टी एवं राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि के उपाध्यक्ष थे. मिश्र को 1996 में उन्हें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय पर्यावरण पुरस्कार, जमना लाल बजाज पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से नवाजा जा चूका है. 2007-2008 में मप्र सरकार द्वारा अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. मिश्र, जयप्रकाश नारायण के साथ डकैतों को खत्म करने के आंदोलन में भी शामिल रहे.
अनुपम मिश्र गांधी शांति प्रतिष्ठान के ट्रस्टी और राष्ट्रीय गांधी स्मारक निधि के उपाध्यक्ष थे. उनको पर्यावरण पर काम करने के लिए जाना जाता है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रख्यात पर्यावरणविद, समाजवादी, गांधीवादी एवं लेखक अनुपम मिश्र के निधन पर गहरा शोक जताया है.