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6 December 2016
मुख्यमंत्री जयललिता का अंतिम संस्कार
चेन्नई: तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को मरीना बीच पर मंगलवार शाम उनके राजनीतिक गुरू एमजी रामचंद्रन की कब्र के बगल में दफ़नाया गया. 68 वर्षीय जयललिता का शशिकला की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया. उनके पार्थिव शरीर को राजाजी हॉल से मरीना बीच ले जाया गया जहां उनकी अंतिम यात्रा में हज़ारों की संख्या में लोग शामिल हुए. सोमवार को जयललिता का कार्डियक अरेस्ट के बाद रात 11.30 बजे निधन हो गया था. वे पिछले 75 दिनों से अस्पताल में भर्ती थी. वे चार बार राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी थी.
राजाजी हाल में जयललिता के पार्थिव शरीर को आम दर्शन के लिए रखा गया. तीस सालों से उनकी सहयोगी शशिकला अपने परिवार के साथ वहाँ मौजूद थीं. उनके निधन के बाद जयललिता के करीबी ओ पनीरसेल्वम को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया है. तीसरी बार मुख्यमंत्री बने पनीरसेल्वम अपनी नई कैबिनेट के साथ मौजूद थे. तमिलनाडु में 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है और सभी शैक्षणिक संस्थान भी 3 दिन तक बंद करने का ऐलान किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री को श्रद्धांजलि देने चेन्नई पहुंचे. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी अंतिम विदाई दी. उसके बाद रजनीकांत आए. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और गुलाम नबी आज़ाद ने भी श्रद्धांजलि दी. जयललिता को श्रद्धांजलि अर्पित करने केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू राजा जी हॉल पहुंचे. यूपी के सीएम अखिलेश यादव भी जयललिता को श्रद्धांजलि देने के लिए चेन्नई पहुंचे.
जयललिता के सम्मान में केंद्र सरकार ने एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है. 68 साल की जयललिता अपने पीछे लाखों समर्थक और अन्नाद्रमुक पार्टी को छोड़कर गई हैं. क़ानूनी तौर पर उनका कोई वारिस है या नहीं. इसलिए उनकी संपत्ति किसको मिलेगी, इसको लेकर भी कयासों का दौर जारी है.
ऐतिहासिक राजाजी हाल में 1757 के प्लासी युद्ध की जीत का जश्न ब्रिटिश हुकूमत ने यहीं मनाया था. अंग्रेज़ों की सेना ने टीपू सुल्तान को हरा कर यहीं जश्न मनाया था. द्रविड़ राजनीति के तीन हस्ताक्षर यहां मौजूद हैं. इस हाल में उनके गुरू रामचंद्रन को रखा गया था, जहाँ जयललिता को रखा गया है.
दसवीं पास जयललिता एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं. ब्राह्मण जाति में पैदा हुईं, ब्राह्मण विरोधी पार्टी का नेतृत्व किया लेकिन उन्हें दफनाया गया. वो जाति और धर्म से परे थीं. वो अपने राजनीतिक गुरू एमजीआर की मौत के बाद पार्टी की कमान हाथ में लेने मे कामयाब रहीं. एमजीआर को भी उनकी मौत के बाद दफ़नाया गया था. उनकी क़ब्र के पास ही द्रविड़ आंदोलन के बड़े नेता और डीएमके के संस्थापक अन्नादुरै की भी क़ब्र है, अन्नादुरै तमिलनाडु के पहले द्रविड़ मुख्यमंत्री थे. द्रविड़ नेताओं को दफनाया ही जाता है. उन्हें मौत के बाद जलाया नहीं जाता है.