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23 January 2016
विश्व का सबसे ऊंचा तिरंगा फहराया
रांची: रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 119वीं जयंती पर शनिवार को रांची में विश्व की सबसे ज्यादा ऊंचाई पर सबसे बड़े तिरंगे झंडे को फहराया. सबसे बड़े तिरंगे झंडे का यहां पहाड़ी मंदिर पर रक्षा मंत्री ने बटन दबाकर ध्वजारोहण किया. उन्होंने दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे बड़े तिरंगे को फहराने पर गौरव होने की बात कहते हुए खुशी जताई कि 26 जनवरी को देश के गणतंत्र दिवस से पहले ही शनिवार को गणतंत्र दिवस जैसे उत्सव का माहौल हो गया. नेताजी की वर्षगांठ पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए पर्रीकर ने कहा कि वह देश को स्वावलंबी बनाना चाहते थे. उनके जन्मदिन पर विश्व का सबसे बड़ा तिरंगा फहरा कर झारखंड भी स्वाभिमान के साथ स्वावलंबन के साथ और तेजी से आगे बढ़ेगा. तिरंगा फहराने को लेकर राजधानी रांची में सुबह से ही जश्न का माहौल था.
रक्षामंत्री ने रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय की ऑनलाइन आधारशिला रखी. रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना रांची के निकट 25 एकड़ भूमि में की जाएगी. इसका कैंपस खूंटी जिले में बनाया जाएगा. इसमें 300 से 500 छात्रों को दाखिला दिया जाएगा. देश की तीसरी रक्षा यूनिवर्सिटी की स्थापना करने का झारखंड को सौभाग्य मिला है.
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने झंडे को फहराने के बाद कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में झारखंड को बहुत कुछ मिलेगा. झारखंड देश की 50 फीसद खनिज संपदा का उत्पादन करने के बावजूद बहुत पिछड़ा हुआ है.
रांची में इस मौके पर केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास, राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, स्थानीय सांसद रामटहल चौधरी, गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय भी मौजूद थे.
कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने पहाड़ी मंदिर पर ध्वजारोहण समारोह और इस अभियान से जुड़े पांच लोगों को सम्मानित किया. इनमें रांची के उपायुक्त मनोज कुमार, दानदाता विष्णु अग्रवाल, ओएसडी अमित कुमार, पहाड़ी मंदिर विकास समिति के दीपक अग्रवाल और हरि जालान के साथ-साथ भाजपा के संजय सेठ शामिल हैं.
स्कूली बच्चों ने देशभक्ति गीतों पर नृत्य पेश कर देश की एकता और अखंडता का संदेश दिया. समारोह में स्कूल के विद्यार्थियों ने स्वागत गान पेश किया जबकि सेना के जवानों ने बैंड की आकर्षक प्रस्तुति दी. समारोह में लगभग 15 हजार लोग शामिल हुए. इनमें करीब 10,000 बच्चे शामिल हुए.
इस विशाल झंडे को फहराने पर कुल 1.25 करोड़ रुपये की लागत आई है, जिसमें तिरंगे के लिए 44 लाख रुपये खर्च हुए. इसी पहाड़ी पर आज जहां मंदिर स्थित है, वहां ब्रिटिश राज में कई स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी गई थी. भगवान शिव का यह प्राचीन मंदिर धार्मिक आस्था के साथ देशभक्तों के बलिदान के लिए भी जाना जाता है. यह मंदिर देश का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां 15 अगस्त और 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा से फहराया जाता है. यह परम्परा यहाँ 1947 से ही चली आ रही है.
फिलहाल देश में सबसे ऊंचा तिरंगा लहराने का गौरव फरीदाबाद को हासिल था. फरीदाबाद में 246 फीट के पोल पर तिरंगा लहराता है. अब यह कीर्तिमान रांची को प्राप्त हुआ है. रांची पहाड़ी पर 24 घंटे तिरंगा लहरायेगा. रात में भी तिरंगा दिखे, इसके लिए पोल के पास सोडियम वेपर लाइट लगायी गयी है. इसकी जमीन से ऊचाई 493 फीट है. इसे 293 फीट लंबे पोल पर लगाया गया है.