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15 January 2016
चौथी बार मिला कृषि कर्मण अवार्ड
भोपाल: मध्यप्रदेश को लगातार चौथी बार प्रतिष्ठित केटेगरी में वर्ष 2014-15 का कृषि कर्मण पुरुस्कार मिला है. राज्य का चयन सर्वाधिक खाद्यान उत्पादन श्रेणी के लिए हुआ है. केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को सूचित किया कि प्रतिष्ठित कैटेगरी-1 में सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन में कृषि कर्मण अवार्ड मध्यप्रदेश को दिया गया है. मध्यप्रदेश को चौथी बार कृषि कर्मण अवार्ड के साथ 5 करोड़ रुपये की राशि दी जायेगी. इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने प्रदेश के किसानों को बधाई दी. प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत कुमार मलैया ने भी किसानों को अवार्ड मिलने पर बधाई दी है. यह पुरस्कार पाने की दौड़ में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, हरियाणा और महाराष्ट्र भी शामिल थे.
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश को साल 2011, 2012, 2012-13 और 2013-14 में कृषि कर्मण अवार्ड मिला है. इसमें साल 2011-12 में तथा वर्ष 2014-15 में खाद्यान्न उत्पादन में यह अवार्ड भारत सरकार ने दिया है. मध्यप्रदेश को साल 2011-12 में पिछले 5 साल में अधिकतम उत्पादन के लिये कृषि कर्मण अवार्ड मिला था. साल 2013 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को नई दिल्ली में दिया था. दूसरी बार पुन: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खाद्यान्न उत्पादन श्रेणी में कृषि कर्मण अवार्ड 10 फरवरी को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को प्रदान किया था.
राजस्थान के सूरतगढ़ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश को तीसरी बार गेहूँ उत्पादन में देश में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये कृषि कर्मण अवार्ड देते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर निकल गया है.
मध्य प्रदेश में कृषि उत्पादन में पिछले वर्ष में 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई, वहीं खाद्यान उत्पादन में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
प्रदेश में 328 लाख टन खाद्यान्न् उत्पादन हुआ था. जबकि, पिछले साल 280 लाख टन का उत्पादन हुआ था. 18 प्रतिशत की वृद्धि किसी और राज्य ने हासिल नहीं की. ये उत्पादन भी तब हुआ जब प्रकृति ने पूरी तरह से साथ नहीं दिया. बारिश की वजह से गेहूं की गुणवत्ता और उत्पादन प्रभावित हुआ था लेकिन बाकी फसलों का उत्पादन अच्छा रहा था.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि केन्द्र की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वास्तव में किसानों के हित में है. उन्होंने कहा कि इस योजना से प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को पर्याप्त लाभ मिलेगा.
वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कहा है वर्ष 2009-10 में प्रदेश में 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती थी, जो 2015-16 में 25 लाख हेक्टेयर हो गयी है. हमारा लक्ष्य वर्ष 2018-19 तक 40 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हेतु सुविधा मुहैया कराना है.