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11 January 2016
बाघ को इंजेक्शन से कैद किया
शाजापुर: जिले में पिछले सात दिनों से दहशत का पर्याय बने बाघ को वन अमले ने ट्रेकुलाइज कर सोमवार सुबह पकड़ लिया है. बाघ ने दो गायों समेत दूसरे जानवरों का शिकार कर इलाके में भय का माहौल पैदा कर दिया था. वन विभाग का अमला लगातार उसकी सर्चिंग में जुटा हुआ था. बाघ को पिंजरे में कैद कर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व भेजा गया.
बाघ पकड़ने के लिए सतपुड़ा से दो हाथियों की मदद ली गई थी. इन्हीं दो हाथियों पर बैठकर वन विभाग अमले ने शाजापुर के बागली और घाटिया इलाकों में बाघ की सर्चिंग कर उसे ट्रेकुलाइज किया गया. इससे पहले घुंसी इलाके में बाघ को पकड़ने के लिए भोपाल उज्जैन शाजापुर की वन विभाग की रेस्क्यू टीम जुटी हुई थी. वहीं, इस कवायद में 100 से ज्यादा कर्मचारियों की तैनाती की गयी और लगातार बाघ के मूवमेंट पर नजर बनाए रखी. इस रेस्क्यू आपरेशन की मॉनिटरिंग भोपाल वाईल्ड लाइफ़ के अधिकारीयो ने की.
वन विभाग जानवरों को पकड़ने के लिए ट्रेंकुलाइज विधि का उपयोग करता है. इसमें एक विशेष प्रकार की गन के जरिए जानवर पर बेहोशी का इंजेक्शन फायर किया जाता है. किसी भी जानवर को ट्रेंकुलाइज विशेषज्ञ की मदद से ही किया जाता है. बेहोशी की दवा में मात्रा का भी ध्यान रखा जाता है.
टीम ने बाघ को पकड़ने रविवार रात एक पाड़ा खड़ा कर जाल बिछाया था, लेकिन वह जाल में नहीं फंसा. फिर दो टीम सुबह 4 बजे दो हाथियों पर सवार होकर कालीसिंध के जंगल में निकल पड़ी. इनमें से एक हाथी पर एपीसीसीएफ उज्जैन पीसी दुबे और दूसरे पर भोपाल सीसीएफ आरश्रीनिवास मूर्ति और विशेषज्ञ डॉक्टर सवार थे. लगभग 6 बजे के करीब उज्जैन एपीसीसीएफ दुबे को झाड़ियों में बैठा टाइगर नजर आया. टीम को देखते ही वह छिपने लगा. महावत ट्रेंड हाथी को टाइगर के पास ले गया. सिर्फ 10 मीटर की दूरी पर हाथी को रोक कर एपीसीसीएफ दुबे ने ट्रेंक्यूलाइज गन से शॉट लगाया. शाट लगते ही टाइगर झाड़ियों में भाग गया. करीब 30 मिनट बाद टाइगर उन्हें बेहोशी की हालत में दिखाई दिया. टाइगर को यहां से स्पेशल कैचमेंट व्हिकल में शाजापुर भेजा गया. यहां उसे रिवर्सल इंजेक्शन देकर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के लिए रवाना कर दिया गया.