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4 March 2016

पूर्व अभिनेता मनोज कुमार को फाल्के पुरस्कार

मनोज कुमार को फाल्‍के पुरस्‍कार

मुंबई: बॉलीवुड अभिनेता और निर्देशक 78 वर्षीय मनोज कुमार को 2015 के 47वे दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया है. यह जानकारी भारत सरकार की ओर से शुक्रवार को सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने दी. मशहूर मनोज कुमार भारत कुमार के रूप में जाने जाते है. मनोज कुमार को अपनी फिल्मों में भारत देश का लगातार चित्रण करने के लिए उन्हे भारत कुमार का उपनाम मिल चुका है. 60 और 70 के दशक में मनोज कुमार की फिल्मों ने खूब सफलता पाई. उनके नाम पर कई शानदार फिल्में हैं.

पुरुस्कार घोषणा के बाद उन्होंने अपनी पहली प्रतिक्रिया में खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार मिलने पर मैं बेहद आनंद महसूस कर रहा हूं. मैंने दिल से देशभक्ति पर फिल्में बनाई है. इस पल मुझे अपनी फिल्म का गीत याद आ रहा है-भारत का रहने वाला हूं भारत की बात सुनता हूं. पुरुस्कार के लिए नाम चयन के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने उनसे फोन पर बात कर उन्हें बधाई दी. फिल्मकार मधुर भंडारकर सहित बॉलीवुड की कई हस्तियों ने श्री कुमार को फोन करके और सोशल मीडिया के जरिये बधाइयां दी.

कुमार को भारतीय सिनेमा में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया जाएगा. फिल्म जगत के इस सबसे बड़े पुरस्कार के लिए बॉलीवुड के 'भारत कुमार' का चयन पांच सदस्यीय चयन मंडल ने किया है. इसके सदस्यों में लता मंगेश्कर, आशा भोंसले, सलीम खान, नितिन मुकेश और अनूप जलोटा शामिल हैं. अपने प्रशंसकों को एक से बढ़कर एक फिल्म देने वाले मनोज कुमार ने बतौर अभिनेता और निर्देशक पहले भी कई पुरस्कार जीते हैं. मनोज कुमार को 1992 में पद्मश्री से नवाजा गया था.

इस पुरस्कार के तहत एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपए नकद और एक शॉल प्रदान किया जाता है. इससे पहले 2014 में शशि कपूर को दादा साहेब पुरस्कार मिला था.

उनकी फिल्में 'हरियाली और रास्ता', 'वह कौन थी', 'हिमालय की गोद में', 'दो बदन', 'उपकार', 'पत्थर के सनम', 'नील कमल', 'पूरब और पश्चिम', 'रोटी, कपड़ा और मकान' एवं 'क्रांति ने कामयाबी की बुलंदियों को छुआ. इन फिल्मों में उन्होंने अविस्मरणीय अभिनय किया है. वह देशभक्ति पर आधारित फिल्मों में अभिनय एवं निर्देशन के लिए जाने जाते हैं.

श्री कुमार का जन्म अविभाजित भारत के एब्बोट्टाबाद(अब पाकिस्तान में) में जुलाई 1937 को हुआ था. भारत कुमार का परिवार 1947 में दिल्ली आ गया था. दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज से स्नातक करने के बाद उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखने का फैसला लिया. वर्ष 1957 में फिल्म 'फैशन' से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाले मनोज कुमार 1960 में 'कांच की गुडिया' में प्रमुख भूमिका में नजर आए थे. देशभक्ति से ओत-प्रोत अभिनेता की छवि 1965 में उनकी फिल्म 'शहीद' से बनी. सन 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें अपने लोकप्रिय नारे 'जय जवान, जय किसान' पर आधारित फिल्म बनाने का सुझाव दिया, जिसकी परिणति 'उपकार' फिल्म के निर्माण के रूप में आई. इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी प्रदान किया गया था.

मनोज कुमार फिल्मों में आने से पहले हरीकिशन गिरि गोस्वामी के नाम से जाने जाते थे. उनकी शादी शशि गोस्वामी से हुई है. उनके दो पुत्र विशाल एवं कुणाल हैं.

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