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25 May 2016
एवरेस्ट पर मप्र ने फहराया तिरंगा
भोपाल: प्रदेश के दो पर्वतारोही भगवान और रत्नेश ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल कर इतिहास रचा. राजाभोज विमानतल पर भगवान सिंह कुशवाहा का खेल विभाग व खेल अकादमी के खिलाड़ियों ने मंगलवार को भव्य स्वागत किया. इसके बाद तात्या टोपे स्टेडियम परिसर में भी उत्सव मनाया गया. ढोल बाजे के साथ भगवान सिंह का स्वागत किया गया. माउंट एवरेस्ट की इस साहसिक यात्रा के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भगवान सिंह बधाई दी. भगवान सिंह विक्रम अवार्ड से नवाजे जाएंगे. भगवान सिंह ने खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया से मुलाकात की.
भगवान सिंह ने एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचते-पहुंचते कई बार हिम्मत हारी. ऐसा लगा मानो लौट चलो, पर एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने का सपना मुझे बार-बार हिम्मत देता रहा. मेरे पैर गल चुके थे. दाएं पैर के अंगूठे के नीचे पस पड़ गई थी. आखिरकार जूते काटकर पंजों को खुली हवा में निकाला और फिर नंगे पैर ही सफर खत्म किया. कैंप फोर से 18 मार्च की शाम 7 बजे यात्रा शुरू करने वाले इस आठ सदस्यीय दल में केवल पांच सदस्य ही एवरेस्ट की चोटी तक पहुंच सके. इसमें मप्र के भगवान सिंह और सतना के रत्नेश शामिल थे. उनके साथ यूरोप के दो देशों के पर्वतारोही भी शामिल थे. एवरेस्ट फतेह करने वाली बछेन्द्री पाल को देखकर भगवान इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने बचपन में ही एवरेस्ट की ऊंचाई नापने का ठान लिया था.
भगवान सिंह माउंट एवरेस्ट एक्स पैडीशन साउथ फेस स्प्रिंग-2016 की साहसिक यात्रा पर भोपाल से 30 मार्च को रवाना हुए थे. सिंह ने 19 मई की सुबह 9.30 बजे माउंट एवरेस्ट की चोटी पर भारतीय ध्वज फहराया. वहीं, 21 मई को सतना के रत्नेश पाण्डेय ने अभियान पूरा किया. 54 दिनों की साहसिक यात्रा कर एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराने में सफलता हासिल की है. उन्होंने समुद्र तल से 8848 मीटर ऊंचाई पर स्थित विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया. माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई पर जाने वाले भगवान सिंह का पूरा शरीर सूज गया है. माइनस 40 डिग्री तापमान चारों और बर्फ ही बर्फ और इस बर्फ के बीच चढाई की. 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली वर्फीली हवाए का सामना भी करना पढ़ा.
भगवान सिंह ने बताया कि जितना खतरनाक एवरेस्ट पर चढ़ना है, उतना ही खतरनाक उतरना. सिलेंडर में ऑक्सीजन खत्म हो रही थी, इसलिए हम चोटी पर सिर्फ 5 मिनट ही रुक सके और हमें वापस आना पड़ा. कई चट्टानों की दरारों पर स्टील की सीढ़ी लगानी पढ़ी. इस मिशन पर उनके 21 लाख रुपए खर्च हुए. एवरेस्ट पर जाने के लक्ष्य की वजह से भगवान सिंह कुंवारे है.
मध्यप्रदेश का नाम रोशन करने वाले दोनों पर्वतारोहियों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा है कि दोनों ही पर्वतारोहियों ने देश और दुनिया में प्रदेश का नाम रौशन किया है.
- 7 घंटे में 56 किलोमीटर राष्ट्रीय ट्रेकिंग रिकार्ड- डलहौजी
- 8 बार बेस्ट क्लाइम्बर का अवॉर्ड
- 6 बार राष्ट्रीय ट्रेकिंग दल के प्रभारी
- 5 बार बेल केंप लीडर नियुक्त
- 8 बार अमरनाथ यात्रा ट्रेकिंग चंदनबाड़ी(श्रीनगर) में 11 घंटे में 32 किलोमीटर की चढ़ाई
- 6 दिन में 682 किलोमीटर साईकिलिंग ग्वालियर से भोपाल, इन्दौर
- 33 दिन में कैलाश-मानसरोवर यात्रा पूरी की
- 6000 मीटर पर खम्बू आइस फॉल पर भी जा चुके हैं
भगवान अब तक 145 से अधिक राष्ट्रीय ट्रैकिंग कैम्प में शहर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. ग्रेजुएशन करने के बाद बीपीएड किया. माउंट एवरेस्ट तक पहुंचने के लिए नेहरू पर्वतारोहण केन्द्र से एडवांस कोर्स भी किया.