Menu

News of Madhya Pradesh India

Hindi news portal of Bhopal. read regular fresh news of Bhopal, Indore, Gwalior, Jabalpur. whole state reporting with MP News Portal

24 August 2017

संविधान पीठ का फैसला निजता अब मौलिक आधिकार

निजता अब मौलिक आधिकार

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की खंडपीठ ने ऐतिहासिक फैसला दिया निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार दिया जाए. सरकार कहती रही कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है. संविधान पीठ ने सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया है. संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से 1954 और 1962 के दो निर्णयों को पलटते हुए कहा, निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीने का अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा है. सुप्रीम कोर्ट में कुल 21 याचिकाएं थीं. पीठ ने इस मामले पर 6 दिन मैराथन सुनवाई के बाद दो अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था. संविधान लागू होने के 67 साल बाद भारत के नागरिकों को निजता का अहम मौलिक अधिकार हासिल हुआ है.

निजता के अधिकार का मुद्दा आधार को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान उठा था. याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि बायोमीट्रिक डाटा लिए जाने से उनकी निजता के अधिकार का हनन होता है. लेकिन, सरकार का कहना था कि निजता कोई मौलिक अधिकार नहीं है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामला नौ जजों के पास भेज दिया था.

90 वर्षीय रिटायर्ड जस्टिस केएस पुत्तास्वामी निजता के अधिकार मामले के पहले याचिकाकर्ता थे.

संविधान पीठ ने कहा है कि सेक्सुअल संबंध, व्यक्तिगत संबंध, पारिवारिक जीवन की मान्यता, शादी करना, बच्चे पैदा करना यह सब निजता के अधिकार हैं. प्राइवेसी इंसान की गरिमा का अभिन्न अंग है.

विपक्षी दलों ने निजता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक और निर्णायक बताते हुए इसका स्वागत किया है और कहा है कि इससे लोगों की निजी जिंदगी में सरकार की दखलंदाजी कम होगी.

पीठ में मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर, जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस आर.के. अग्रवाल, जस्टिस आर.एफ़. नरीमन, जस्टिस ए.एम. सप्रे, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर शामिल हैं.

Retrieved from(websites).

comments powered by Disqus