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1 August 2017
मप्र हाईकोर्ट के जज श्रीवास का ट्रांसफर के खिलाफ धरना
जबलपुर: न्यायाधीश आर के श्रीवास ने हाईकोर्ट के बाहर मंगलवार से धरना दिया. आर के श्रीवास मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश है. वे अपने ट्रांसफर से खफा है. उन्होंने 15 माह की अल्प समय सीमा में चौथी बार स्थानांतरण करने के विरोध में यह धरना शुरू किया है. इस अवधि में उनका स्थानांरतण धार से शहडोल, शहडोल से सिहोरा, सिहोरा से उच्च न्यायालय जबलपुर तथा अब नीमच किया गया है. उनको जबलपुर हाईकोर्ट से रिलीव कर तुरंत नीमच में ज्वाइन करने के आदेश दिए गए है.
श्रीवास के अभी तक 17 साल 11 तबादले हो चुके है. जबकि तबादला नीति 2015 के अनुसार एक स्थान पर अधिकतम तीन वर्ष का प्रावधान है. मप्र जबलपुर उच्च न्यायालय के 61 वर्ष के इतिहास में संभवता यह पहला मौका होगा, जब कोई न्यायाधीश न्यायालय के सामने धरने पर बैठा हो.
धरने में बैठे श्रीवास ने बताया, तबादला नीति का पालन नहीं किये जाने तथा चेहरा देखकर तिलक किये जाने की परिपाटी के खिलाफ मेरा यह धरना है. मैंने नौ सूत्रीय मांग के संबंध में उच्च न्यायालय भारत और मप्र उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है. जब तक मेरी मांग पूरी नहीं होती, मेरा धरना कार्यालय अवधि में जारी रहेगा.
उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद भी चरित्रावली की कॉपी नहीं दी जाती है. मांगने पर कहा जाता है कि सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगो. जो उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना है. कि, सरकार ने उनके इस आरोपों को सिरे से नकार दिया है.
इसी बीच, उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल मोहम्मद एफ अनवर ने बताया कि तीन साल का कार्यकाल पूर्ण होने के कारण एडीजे आर के श्रीवास का स्थानांतरण धार से शहडोल किया गया था. शहडोल व सिहोरा में पदस्थापना के दौरान उन्होंने अनावश्यक पत्राचार किया था, जिसके कारण उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही थी. श्रीवास मालवा क्षेत्र के निवासी है और वह उसी क्षेत्र में स्थानांतरण चाहते थे. जिसके कारण उनका स्थानांतरण गृह जिले के समीप नीमच किया गया था.
श्रीवास हाईकोर्ट परिसर के अंदर सत्याग्रह पर बैठना चाहते थे, लेकिन उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं मिली. जिसके बाद हाईकोर्ट की इमारत के गेट नंबर तीन के सामने धरने पर बैठ गए. कुछ अधिवक्ताओं ने भी वहां पहुंचकर न्यायाधीश श्रीवास का समर्थन किया था.