News of Madhya Pradesh India
Hindi news portal of Bhopal. read regular fresh news of Bhopal, Indore, Gwalior, Jabalpur. whole state reporting with MP News Portal
3 December 2017
विश्व की भीषणतम त्रासदी भोपाल गैस कांड की 33वी वर्षगांठ
भोपाल: भोपाल गैस कांड की 33वीं बरसी पर रविवार को प्रभावितों ने रैली निकाली प्रदर्शन किया. सैकड़ों की संख्या मे त्रासदी से पीड़ित और उनके समर्थकों ने बंद पड़े यूनियन कार्बाइड के कारखाने तक रैली निकाली. रैली के अंत में प्रदर्शंनकारियों ने यूनियन कार्बाइड, डाव केमिकल और डुपान्ट के कॉर्पोरेट लोगो के सिर वाले तीन पुतलों को आग लगाकर विरोध प्रदर्शन जताया. इसके अलावा भोपाल के अन्य हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन में रैली और धरने दिये गये. राजभवन के सामने सुबह कुछ लोगों ने कफन ओढ़कर प्रदर्शन किया. बरकतउल्ला भवन में आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना सभा में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की कि गैस पीड़ित विधवा महिलाओं को पेंशन आगे भी जारी रहेगी.
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन ने यादगारे शाहजहानी पार्क में 33वी बरसी आयोजित की तथा मृत आत्माओं को श्रद्धांजलि देने के साथ साथ जीवित बचे गैस पीड़ितों के लिए संघर्ष की प्रतिज्ञा ली.
वही रविवार को एक संगठन द्वारा आयोजित 'रन फॉर रन' का युवाओ ने विरोध किया गया. बोर्ड ऑफिस चौराहे पर एकत्रित हुए युवाओं ने प्रदर्शन करते हुए कहा कि गैस कांड का दिन हम सभी के लिए मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने का होता है. वहीं दूसरी ओर इस तरह के कार्यक्रम में रॉक बैंड, जुंबा, डीजे बजा कर खुशियां मनाई जा रही होंगी. क्या यह भारतीय संस्कृति को शोभा देता है.
रैली में शामिल गैस प्रभावितों प्रदर्शंनकारियों ने सही इलाज, पैदाइशी खराबियों वाले बच्चों का पुनर्वास, रोजगार, पेंशन, कातिल कंपनियों को सज़ा, पर्याप्त मुआवजा तथा प्रदूषित मिट्टी और भूजल से जहरीले तत्वों की सफाई की मांग की.
भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा और उनके सहयोगी संगठनों ने कहा, पिछले तीन सालों में पीड़ितों के प्रति सरकारी उदासीनता मे बद्दोतरी की वजह यह है की आधे पीड़ित मुसलमान है और बहुसंख्यक हिन्दू पीड़ित निचली जातियों के है. सत्तासीन पार्टी ने हमेशा इनके खिलाफ भेदभाव बरता है.
भोपाल में गैस त्रासदी पूरी दुनिया के औद्योगिक इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना है. 3 दिसंबर, 1984 को आधी रात के बाद सुबह मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड की फैक्टरी से करीब 40 टन निकली ज़हरीली गैस ने हज़ारों लोगों, पशुओ की जान ले ली थीं तथा बहुत सारे लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए थे. राजधानी के यूनियन कार्बाइड कारखाने में 346 टन जहरीला कचरा अभी भी मौजूद है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 13-18 अगस्त 2015 तक पीथमपुर में रामकी कंपनी के इंसीनरेटर में जहरीला कचरा जलाया गया है.
भोपाल गैस काण्ड में ज़हरीली मिथाइल आइसोसाइनाइट(मिक) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था. जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था. आज भी सैंकड़ों परिवार इस हादसे के जख्म सह रहे हैं. गैस प्रभावित कई लोगों के यहां जन्म लेने वाले बच्चे नि:शक्तता का दंश झेल रहे हैं. जिंदा बचे लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. कंपनी की स्थापना साठ के दशक में हुई थी.
हादसे के बाद सैकड़ों लोगों का सामूहिक अंतिम संस्कार किया जाता था. इसमें लगभग 15000 से अधिक लोगों की जान गई. अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2,259 थी. मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3,787 की गैस से मरने वालों के रूप में पुष्टि की थी. मौत का मंजर इतना भयावह था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह भी रो पड़े थे.
हादसे की जानकारी मिलने के बाद कारखाने के मालिक वारेन एंडरसन भोपाल आए. उनके भोपाल आने की खबर सुनकर जिला प्रशासन सकते में आ गया. भोपाल गुस्से में था. वारेन एंडरसन की पहुंच तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी तक थी. प्रशासन ने राजीव गांधी को दो टूक शब्दों में कह दिया कि वे एंडरसन को सुरक्षा नहीं दे सकते. मजबूरन राजीव गांधी के निर्देश पर तत्कालीन गृहमंत्री एवं पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहराव ने अर्जुन सिंह सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए कि एंडरसन को सुरक्षित रवाना किया जाए. तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह ने इस घटना के बारे में लिखी किताब भोपाल गैस त्रासदी का सच में एंडरसन की रिहाई का सच भी लिखा है. इस सच को उजागर करने के कारण उनके खिलाफ आरोपी को भगाने का मुकदमा भी दर्ज किया गया था. एंडरसन की सुरक्षित रिहाई के बाद कभी भी सरकार उसे मुकदमा चलाने के लिए भारत वापस नहीं ला सकी. एंडरसन की मौत भी हो चुकी है.
घटना के लगभग एक माह पूर्व ही राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे. उनके कार्यकाल की यह पहली बड़ी त्रासदी दी थी. भोपाल में हर साल गैस की कांड की बरसी पर एंडरसन के साथ-साथ राजीव गांधी को भी घटना के लिए जिम्मेदार माना जाता है. हादसे के समय भोपाल की आबादी लगभग नौ लाख थी. लेकिन, गैस प्रभावित साढ़े पांच लाख लोगों को ही माना गया.
अब भी इस हादसे का खामियाजा पीड़ितों की तीसरी पीढ़ी भुगत रही है.