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14 February 2017
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 634 छात्रो का दाखिला रद्द
भोपाल: सुप्रीम कोर्ट ने व्यवसायिक परीक्षा मंडल(व्यापमं) में सामूहिक नकल के दोषी पाए गए 634 छात्रों के दाखिले को रद्द किया. हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. मामले छात्रों की ओर से दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दी गई है. इससे पहले हाईकोर्ट ने भी इस मामले पर प्रवेश रद्द करने का फैसला सुनाया था. फैसले से 2008-2012 के बैच के छात्रों का गहरा झटका लगा है. व्यापमं घोटाला सामने आने के बाद सभी छात्रो के प्रवेश रद्द कर दिए गए थे. फैसले के बाद इन सभी छात्रो पर एफआईआर भी दर्ज हो सकती है.
इन छात्रों ने नकल कराने वाले गिरोह की मदद ली थी. लेकिन, सज़ा को लेकर 268 छात्रों की याचिका पर सुनवाई में 2 जजों में मतभेद था. सबसे पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जज जस्टिस जे चेलामेश्वर ने सभी पक्षों की दलीले सुनने के बाद फैसला सुनाया था कि सभी 634 छात्रों की पढ़ाई पूरे होने के बाद पांच साल तक भारतीय सेना में काम करना होगा. पांच साल पूरे होने के बाद ही डिग्री दी जाएगी. इसके बाद दूसरी बेंच के जस्टिश अभय मनोहर सप्रे ने इन सभी का दाखिला रद्द कर दिया. जिसके खिलाफ छात्रों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि छात्रों के कृत्य अस्वीकार्य बर्ताव के दायरे में पाए गए हैं और उन्हें संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले विशेष अधिकार का इस्तेमाल करने इजाजत नहीं दी जा सकती. 87 पन्नों के अपने फैसले में पीठ ने कहा, ‘इस मामले में जो परिस्थितियां और तथ्य मौजूद हैं, उनके आधार पर याचिकाकर्ताओं के कृत्य कानून का पूर्ण उल्लंघन दायरे में पाए गए हैं'. यह फैसला चीफ जस्टिस जे एस खेहर, जस्टिस कुरियन जोसफ और जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने किया. तीनों जजों ने ये माना है कि नकल के जरिए प्रवेश परीक्षा पास करने वाले छात्रों को डॉक्टर बनने का अधिकार नहीं है.
मध्यप्रदेश का व्यापमं घोटाला शिक्षा के क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा है. इस घोटाले के चलते राज्य की सत्ताधारी भाजपा सरकार पर लांछन लगे है. मामले में राज्यपाल, सरकार के कई मंत्रियों और नेताओं पर भी इसके दाग लगे है. इस घोटाले के पत्रकार-गवाहों की भी हत्या हो चुकी है. मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है.