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29 January 2017
शहला मसूद हत्याकांड में चार को उम्रकैद
इंदौर: विशेष सीबीआई अदालत ने वर्ष 2011 के बहुचर्चित शहला मसूद हत्याकांड की मास्टरमाइंड जाहिदा परवेज समेत चार लोगों को विशेष सीबीआई अदालत ने शनिवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी के पालोदा ने भोपाल की आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या के करीब साढ़े पांच साल पुराने मामले में जाहिदा के साथ उसकी अंतरंग सहेली सबा फारकी, सुपारी लेकर भाड़े के हत्यारों का इंतजाम करने वाले शाकिब अली उर्फ डेंजर और भाड़े के शूटर ताबिश को दोषी करार दिया. अदालत ने मामले के पांच आरोपियों में शामिल कानपुर निवासी इरफान को क्षमादान दिया है.
सूचना का अधिकार कानून(आरटीआई) कार्यकर्ता शहला मसूद(38) की उनके भोपाल कोहेफिजा क्षेत्र स्थित घर के बाहर 16 अगस्त 2011 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. शहला की लाश उनके घर के बाहर खड़ी गाड़ी में मिली थी.
सीबीआई ने हत्याकांड के मुकदमे की सुनवाई के दौरान पिछले पांच वर्षों में करीब 80 गवाहों को विशेष अदालत में पेश किया था. सीबीआई कोर्ट इस मामले में पिछले 10 दिन से आरोपियों और CBI की ओर से अंतिम बहस सुन रही थी. सीबीआई ने अपनी जांच के बाद 2500 पेज की चार्जशीट कोर्ट में पेश की. सीबीआई की जांच के मुताबिक भोपाल के तत्कालीन भाजपा विधायक ध्रुवनारायण सिंह के जाहिदा और शहला, दोनों से विवाहेतर संबंध थे. शहला से सिंह की बढ़ती नजदीकियों के कारण जाहिदा आरटीआई कार्यकर्ता से जलती थी और उसे रास्ते से हटाना चाहती थी. हत्या के संदेह में जाहिदा को 2012 में गिरफ्तार कर लिया गया था. सीबीआई जांच पड़ताल के बाद मौत के पीछे त्रिकोणीय प्यार की वजह का पर्दाफाश हुआ था.
अदालत ने अपने 92 पन्नों के फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष ने प्रमाणित किया है कि जाहिदा(40) ने आपराधिक षड़यंत्र के तहत शहला मसूद की हत्या की योजना बनाई थी जिसमें सबा फारकी(36) ने उसका सहयोग किया. इस वारदात के लिए शाकिब(42) को सुपारी दी गई. उसने शहला की हत्या की योजना को पूरी करने के लिए अपने साथ आरोपी इरफान और ताबिश(31) को शामिल किया. इस अपराध के लिए देशी कट्टा और कारतूस के साथ मोटरसाइकिल भी उपलब्ध करायी. ताबिश ने आग्नेय हथियारों को बिना लायसेंस के अपने कब्जे में रखते हुए शहला मसूद की गोली मारकर हत्या की. अपराध में प्रयुक्त मोटरसाइकिल की पहचान को भ्रमित करने और सबूत नष्ट करने के लिये सबा ने इस वाहन का रंग बदलवा कर उसे लावारिस स्थान पर छोड़ दिया. सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक अतुल कुमार ने बताया कि शहला मसूद हत्याकांड की जड़ में सौतिया डाह ही था और अभियोजन इस बात को अदालत में साबित करने में कामयाब रहा.
अदालत ने भोपाल की इंटीरियर डिजाइनर जाहिदा को भारतीय दंड विधान की धारा 302(हत्या) और 120.बी(आपराधिक साजिश) के तहत उम्रकैद और 1,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. उसकी सहेली सबा को आईपीसी की धारा 302, 120.बी और धारा 201(वारदात के सबूत नष्ट करना) के तहत उम्रकैद और 1,500 रुपये की जुर्माने की सजा सुनाई. गोली मारकर शहला की हत्या करने वाले भाड़े के शूटर ताबिश को आईपीसी की धारा हत्या और आम्र्स एक्ट के तहत उम्र कैद और 3,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई.
29 फरवरी 2012 को सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर केशव कुमार के हाथ जाहिदा की पर्सनल डायरी लगी जिसमें 16 अगस्त 2011 की तारीख में लिखा था कि उसे उसके घर के बाहर मार दिया गया. उसमें आगे लिखा था, 'मारने के लिए अली नामक शख्स को भेजा था उसने फोन पर मुबारक बाद दी और कहा कि हमने उसे उसके घर के दरवाजे पर ही मार दिया'. जिसके बाद जाहिदा ने इस बात की पुष्टि के लिए एक और आदमी को भेजा. जांच में ग्राफिक सीडी रिकॉर्डिंग व अन्य चीजें भी मिलीं. जिस कट्टे से शेहला की हत्या हुई वह पहले इरफ़ान के पास रहा फिर उसी कट्टे से ताबिश ने शेहला को गोली मारी थी. जाहिदा परवेज की शादी भोपाल के एक रईस बोहरा खानदान में हुई थी. पिछले महीने दिसंबर 2016 में एक सुनवाई के दौरान अदालत से जाहिरा ने गुहार की थी कि वह अपने बचाव के गवाहों के रूप में ध्रुवनारायण सिंह की पत्नी वंदना सिंह और शहला की छोटी बहन आयशा मसूद सुल्तान के बयान दर्ज कराना चाहती है. अदालत ने यह गुहार मंजूर भी कर ली थी. लेकिन नाटकीय रूप से जाहिरा ने अपनी यह गुहार वापिस ले ली.