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16 October 2017
रेप केस के आरोपी जैन मुनि शांति सागर को भेजा जेल
सूरत: रेप के आरोपी 49 साल के जैन मुनि आचार्य शांति सागर को जेल भेजा गया. मप्र के ग्वालियर की 19 वर्षीय लड़की ने जैन मुनि पर रेप का आरोप लगाया था. शांति सागर महाराज को पुलिस ने शनिवार रात ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया. जैन मुनि ने कहा ये सब लड़की के साथ रजामंदी से हुआ. दावा किया है कि उन्हें फंसाया गया है.
मुनि ने मेडिकल के दौरान डॉक्टर से कहा, 'मैं लड़की को 5-6 महीने से जानता हूं. वह पहली बार मिलने के लिए सपरिवार सूरत आई थी. टीमलियावाड नानपुरा धर्मशाला में लड़की की रजामंदी से 1 अक्टूबर को संबंध बनाए. जीवन में पहली बार ऐसा किया.' यह बात डॉक्टर ने मेडिको लीगल केस रजिस्टर में दर्ज की है.
डॉक्टर ने मुनि से पूछा- 'आप साधु हैं, ऐसा क्यों किया?' इस पर मुनि ने सिर झुका लिया. बाद में मुनि को जेल भेज दिया गया.
गुजरात के सूरत में पुलिस ने शुक्रवार को उनके खिलाफ केस दर्ज किया था. शनिवार को मेडिकल जांच के बाद शांति सागर को गिरफ्तार किया गया. मुनि ने अपनी मेडिकल जांच के दौरान डॉक्टर से कहा कि लड़की की सहमती से ही उन्होंने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया था. कोर्ट से ज्यूडिशियल कस्टडी दिए जाने के बाद रात को मुनि को जेल भेज दिया गया.
जांच अधिकारी ने बताया कि इस मामले में चार गवाहों ने बयान दिए हैं.
शांति सागर दिगंबर जैन संत हैं. ये संत कपड़े नहीं पहनते हैं, लेकिन गिरफ्तारी के बाद मेडिकल, कोर्ट में पेशी और जेल भेजने के दौरान उन्हें कपड़े पहनाकर रखा गया.
शांतिसागर बचपन से लेकर जवानी तक एमपी के गुना डिस्ट्रिक्ट में ताऊजी के साथ रहे. ताऊजी यहां पर फार्मासिस्ट थे. उनके एक दोस्त ने बताया कि पहले उनका नाम गिरराज शर्मा था. जब कोटा में इनके माता-पिता का देहांत हो गया तो वह गुना से चले गए. उनका परिवार कोटा में रहता था. पिता सज्जनलाल शर्मा वहीं पर हलवाई थे. कोटा पहुंचकर जीवनयापन के लिए सर्किल चौराहे पर तीन साल तक चाय की दुकान चलाई. जैन मुनि के ताऊजी के लड़के अभी भी गुना में क्लीनिक चलाते है.
गिरराज मौज-मस्ती और खूब क्रिकेट खेलता था, पढ़ाई में एवरेज था, उनके दोस्तों का ग्रुप शहर में उन दिनों के सबसे फैशनेबल युवाओं का था. कपड़े हों या हेयर कट, नए ट्रेंड को सबसे पहले यही ग्रुप अपनाता था.
गिरराज 22 साल की उम्र में मंदसौर में जैन संत मुनि कल्याण सागरजी के के कॉन्टैक्ट में आए. कल्याण सागरजी को सुनने के बाद गिरराज शर्मा ने भी धर्म के रास्ते पर चलने का मन बनाया और उन्हीं से दीक्षा ले ली. पढ़ाई अधूरी छोड़कर दीक्षा लेकर गिरराज से शांतिसागर महाराज बन गए.
बता दें कि आरोप लगाने वाली लड़की वडोदरा में कॉलेज स्टूडेंट है. लड़की ने पुलिस कमिश्नर को लेटर लिखकर कहा था कि जैन मुनि ने 01 अक्टूबर को शहर के नानपुरा टीमलियावाड जैन धर्मशाला में उससे रेप किया. अपने फैमिली मेंबर्स के साथ वह धार्मिक प्रोग्राम के सिलसिले में वहां गई थी. जैन मुनि इस दौरान सूरत में चातुर्मास के लिए रह रहे थे.
रेप पीड़िता ने पुलिस को बताया कि वो अपने माता-पिता के साथ शांतिसागर के आश्रम गई थी. उसे मुनि ने मंत्र जाप करने के बहाने रात में रुकने के लिए कहा और उसके माता-पिता को वापस भेज दिया. इसके बाद मुनि ने लड़की को धमकाते हुए रेप किया और किसी को बताने पर उसके माता-पिता को मार डालने धमकी भी दी.
दिगम्बर संत 13 पंथी होते हैं, जो पूरी तरह से नग्न होते हैं और हाथ उठाकर आर्शीवाद देते हैं, लेकिन जैन मुनि शांतिसागर महाराज 20 पंथी थे, जो झाड़-फूंक और टोना-टोटका विश्वास करते हैं.
जैन मुनि तरुण सागर ने शांति सागर को पाखंडी बताया. आचार्य शांति सागर को समाज से निकाल देना चाहिए. ऐसे दुष्कर्मी को जैन समाज आदर्श नहीं मानता. शांति सागर संत के वेश में पाखंडी है. साधु और समाज एक-दूसरे के पूरक हैं. समाज साधु पर नजर रखे और साधु मन पर.
जेल में बंद जैन मुनि शांति सागर महाराज जेल का खाना नहीं खा रहा है. उसने खाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उस खाने में प्याज-लहसुन है.