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28 October 2017

कोर्ट का आदेश आरओ वाटर से हो महाकाल का जलाभिषेक

आरओ वाटर से महाकाल अभिषेक

उज्जैन: सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल ज्योतिर्लिंग शिवलिंग जल अभिषेक को लेकर बड़ा फैसला दिया. कोर्ट ने कहा है कि शिवलिंग का जलाभिषेक आरओ के पानी से होना चाहिए और इसके लिए सिर्फ आधा लीटर पानी इस्तेमाल किया जाए. महाकाल शिवलिंग को अब श्रद्धालु केवल आरओ पानी और दूध ही चढ़ा सकेंगे. अभिषेक के लिए हर श्रद्धालु को निश्चित मात्रा में दूध या पंचामृत चढ़ाने की इजाज़त होगी. दुग्धाभिषेक के लिए 1.25 लीटर की मात्रा तय कर दी है. शिवलिंग पर चीनी पाउडर लगाने की इजाज़त नहीं होगी, बल्कि खांडसारी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर भस्म आरती के समय सिर्फ मुख श्रृंगार पर सूती कपड़े का पर्दा होता था, लेकिन अब पूरा ज्योतिर्लिंग सूती वस्त्र से ढका होगा. अभी तक सिर्फ 15 दिन के लिए शिवलिंग को आधा ढका जाता था.

आरओ वाटर से महाकाल अभिषेक, कपडा लपेटकर भस्मारती

महाकाल मंदिर में आज सदियों पुरानी परंपरा टूटी पहली बार शिवलिंग पर कपड़ा लपेटकर भस्मारती की की गई है. आरओ वाटर से जलाभिषेक किया गया. बिना शक्कर के ही भस्मारती हुई है, जबकि पहले शक्कर, दूध, दही, शहद और जल से अलग-अलग स्नान कराया जाता था.

सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रशासन को आठ सुझावों पर अमल करने के लिए हरी झंडी दे दी है. मामले में अगली सुनवाई अब 30 नवंबर को होगी.

सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता सारिका गुरु द्वारा एक याचिका दायर की गई थी जिसमें शिवलिंग पर लगातार जल चढ़ाने, भांग श्रृंगार और पंचामृत(दूध, दही, शहद, चीनी और घी) की वजह से शिवलिंग को नुकसान का हवाला देते हुए भक्तों के मंदिर में जाने और शिवलिंग को छूने पर रोक लगाने की मांग की गई थी. चढ़ावे से महाकाल शिवलिंग का आकार छोटा(क्षरण) हो रहा है. सारिका ने याचिका में ओंकारेश्वर, मल्लिकार्जुन, सोमनाथ जैसे कई ज्योतिर्लिंगों का जिक्र भी किया जहां भक्तों को गर्भ गृह में जाने पर रोक है. इसी पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.

याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग को हो रहे नुकसान की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. सुप्रीम कोर्ट ने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की देहरादून, भोपाल और इंदौर की टीमें गठित कर महाकाल शिवलिंग की क्षरण की जांच के लिए टीम भेजी थी. इस समिति ने हाल ही में महाकाल मंदिर का दौरा किया था.

नमी से बचाने के लिए ड्रायर व पंखे लगाए जाएंगे और बेलपत्र व फूल-पत्ती शिवलिंग के ऊपरी भाग में चढ़ेंगे, ताकि शिवलिंग के पत्थर को प्राकृतिक सांस लेने में कोई दिक्कत न हो. शाम 5 बजे के बाद अभिषेक पूरा होने पर शिवलिंग की पूरी सफाई होगी और इसके बाद सिर्फ सूखी पूजा होगी.

गौरतलब है कि महाकाल मंदिर में करोड़ों भक्त पहुंचते हैं. शिवलिंग पर लगातार जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और फलों के रस से अभिषेक सहित कई तरह के अभिषेक होते हैं. इसके लिए बड़ी मात्रा में छोटी-बड़ी फूल मालाएं, हार, धतूरे चढ़ते हैं. ऐसे में शिवलिंग का क्षरण हो रहा था.

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