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10 September 2017
मुस्कान को दिया गया अंतराष्ट्रीय डायना प्रिंसेस अवॉर्ड
भोपाल: राजधानी की नन्हीं परी मुस्कान को 'द डायना प्रिंसेस अवॉर्ड 2017 रोल ऑफ ऑनर' अवार्ड मिला. अरेरा हिल्स स्थित दुर्गानगर झुग्गी बस्ती की मुस्कान अहिरवार झुग्गी के बच्चो के जिंदगी में शिक्षा की अलख विखेर रही है. 10 वर्षीय मुस्कान कक्षा 5वीं में पढ़ती है. बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के साथ ही बाल लाइब्रेरी चला रही है. मुस्कान की इसी पहल के चलते ही उन्हें विश्व स्तरीय डायना प्रिसेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. मुस्कान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहल के लिए चर्चित हो रही है.
देश की सबसे कम उम्र की लाइब्रेरियन के तौर पर पहचान मिलने के बाद मुस्कान को शिक्षा की अलख जगाने के लिए नीति आयोग की ओर से थॉट लीडर्स अवॉर्ड भी मिल चुका है. अब मुस्कान को डायना प्रिंसेस अवॉर्ड मिला है.
गुजरात के मधीश पारीख ने मुस्कान का नाम डायना अवार्ड के लिए भेजा था. इस अवॉर्ड के लिए दुनिया भर से करीब पचास हजार एंट्री पहुंची थी. यह अवॉर्ड समाज में अनोखा काम करने वाले कम उम्र के बच्चों को दिया जाता है. मुस्कान देश और प्रदेश से की इकलौती बेटी है. जिन्हें इतनी कम उम्र में डायना प्रिसेंस अवॉर्ड मिला है. इस अवॉर्ड के लिए वैसे तो दुनियाभर के 240 लोगों का चयन हुआ है, इनमें भोपाल की मुस्कान भी शामिल है. अवॉर्ड के रूप में प्रशस्ति पत्र दिया जाता है.
मुस्कान की लाइब्रेरी के अधिकतर मेंबर उससे उम्र में बड़े हैं लेकिन वो अपने काम को किसी बड़े व्यक्ति की तरह ही करती हैं. वो बाकायदा किताबें इश्यू करती है और तय समय पर वापस भी लेती है. मुस्कान की इस लाइब्रेरी में 1 हजार से अधिक पुस्तकें हैं. जहां पर सुबह औऱ शाम झुग्गी के बच्चें पढ़ाई करने के लिए पहुंचते हैं. नन्ही सी शिक्षक मुस्कान बच्चों को पुस्तकालय में पढ़ाने के साथ ही उन्हें जिंदगी में कुछ बनने को भी प्रेरित कर रही है. मुस्कान करीब डेढ़ साल से गरीब बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से अपने घर से ही लाइब्रेरी का संचालन कर रही हैं.
डायना प्रिंसेस अवार्ड प्रिंसेस डायना की याद में शुरू किया गया और ये खासतौर से उन बच्चों को दिया जाता है जो कम उम्र में सामाजिक बदलाव, सकारात्मक और अनूठी पहल करते हैं. इसमें सर्टिफिकेट देकर बच्चों को प्रोत्साहित किया जाता है ताकि वे अपने काम को और अच्छे से अंजाम दे सके.