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10 April 2018
आरक्षण के खिलाफ सोशल मीडिया प्रचार से भारत बंद
भोपाल/दिल्ली: दलितों के 2 अप्रैल को बंद के बाद सवर्णों द्वारा आरक्षण के खिलाफ सोशल मीडिया पर मंगलवार को भारत बंद का आव्हान किया. इस बंद की जिम्मेदारी किसी दल ने नहीं ली. फेसबुक, ट्विटर और व्हॉट्सएप पर मैसेज वायरल हुए. पहली बार सोशल मीडिया पर खबर वायरल होने के बाद भारत बंद रहा. कुछ छोटी-मोटी घटनाओ के अलावा बंद बेअसर रहा. सरकार ने इस बार पहले से ही राज्यों को अलर्ट भेज दिया था इसलिए इस बार हिंसा कम हुई. गृह मंत्रालय ने राज्यों को अडवाइजरी जारी कर भारत बंद के आह्वान को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को मुस्तैद रखने को कहा था. भारत बंद के कारण कई जिलों में शिक्षण संस्थान, दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे.
मध्यप्रदेश के भिंड जिले में सोमवार शाम से ही कर्फ्यू लागू कर दिया गया था. भिंड सहित पूरे ग्वालियर चंबल संभाग में इंटरनेट की सेवाएं बंद कर दी गई थी. भोपाल, राजस्थान के जयपुर और भरतपुर और उत्तराखंड के नैनीताल में धारा 144 लागू की गई है. बिहार में आंदोलन ज्यादा हुआ. कई जिलों से भारत बंद के दौरान प्रदर्शन और आगजनी हुई. आरा में राजगीर से दिल्ली जा रही श्रमजीवी एक्सप्रेस को प्रदर्शनकारियों ने रोक दिया. पंजाब के फिरोजपुर में दलित और सवर्णों के बीच आमने-सामने के झगड़े हुए जिसमे कई लोग घायल हुए.
इससे पहले एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था. दलित-आदिवासी बंद में 17 लोगो की मौत हो गई थी. दलित एक्ट में बदलाव के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका में हुई देरी को सरकार का दलित विरोधी कदम बताया गया. इस दौरान मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा हंगामा हुआ था.
पुलिस प्रशासन के लिए एहतियाती कदम उठाना मुश्किल काम था क्योकि इस आंदोलन के पीछे कोई संगठन नहीं था.