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13 January 2018

सुप्रीम कोर्ट के चार जस्टिसो ने पहली बार की प्रेस कांफ्रेंस

सुप्रीम कोर्ट जस्टिस प्रेसवार्ता

नई दिल्ली: देश के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जज एक साथ मीडिया के सामने पेश हुए. जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन भीमराव लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की. पहली बार मीडिया के सामने बोले जज कहा सुप्रीम कोर्ट में कुछ महीनों से सब ठीक नहीं चल रहा. कोर्ट का प्रशासन ठीक से काम नहीं कर रहा है. कोर्ट में बहुत कुछ ऐसा हुआ, जो नहीं होना चाहिए था. चीफ जस्टिस की ओर से ज्युडिशियल बेंचों को सुनवाई के लिए मामले मनमाने ढंग से दिए जा रहे हैं. यह प्रेस वार्ता करीब 20 मिनट तक चली.

जजों ने कहा अगर संस्था को ठीक नहीं किया गया तो देश में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. चार में से दो जजों ने ही मीडिया के सामने बात रखी.

चारों जजों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को 7 पेज का एक लेटर भेजा है. यह लेटर उन्होंने मीडिया को भी सौंपा. पत्र में लिखा है इस देश की न्याय व्यवस्था अच्छी तरह स्थापित है कि सीजेआई सभी बराबर के साथियों में प्रथम हैं, ना उनसे ऊपर और ना ही उनसे नीचे. चीफ न्यायाधीश ने कई केसों को बिना किसी तार्किक आधार के अपनी पसंद के हिसाब से बेंचों को सौंपा है. ऐसी बातों को हर कीमत पर रोका जाना चाहिए.

मीडिया से शीर्ष अदालत के जजों की यह बातचीत अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है. आमतौर पर जज मीडिया से दूरी बनाकर रखते हैं और सार्वजनिक तौर पर न्यायपालिका का पक्ष चीफ जस्टिस ही रखते रहे हैं. बता दें कि मौजूदा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और दूसरे नंबर के सीनियर जज जस्टिस चेलामेश्वर के बीच कई मुद्दों को लेकर मतभेद रहे हैं. किसी भी देश के कानून के इतिहास में यह बहुत बड़ा दिन है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, क्योंकि हमें यह प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. प्रेस कॉन्फ्रेंस इसलिए की, ताकि कोई ये न कहे कि हमने अपनी आत्मा बेच दी है. सुप्रीम कोर्ट के काम में कई अनियमितताएं यह अभूतपूर्व है, न्यायपालिका में ऐसा कभी नहीं हुआ.

करीब दो महीने पहले हम 4 जजों ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा और मुलाकात की. हमने उनसे बताया कि जो कुछ भी हो रहा है, वह सही नहीं है. प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है. यह मामला एक केस के असाइनमेंट को लेकर था. उन्होंने कहा कि हालांकि हम चीफ जस्टिस को अपनी बात समझाने में असफल रहे. इसलिए हमने राष्ट्र के समक्ष पूरी बात रखने का फैसला किया.

सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने जो मीडिया में बयान दिया है उससे सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायधीश सहमत नहीं हैं. उनके अनुसार सुप्रीम कोर्ट में सभी केस को समान रूप से महत्‍व दिया जाता है और इसका वितरण भी बिना किसी भेदभाव के किया जाता है. हमारे लिए सभी जज समान है और मैं सभी का स्‍वतंत्र रूप से सम्‍मान करता हूं.

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के जज आपस के मतभेद सुलझा लेंगे.

उधर सरकार ने इस प्रेस कांफ्रेंस में अपना रूख साफ़ किया कहा कि वह इस मामले में दखल नहीं देगी.

सुप्रीम कोर्ट में तय 31 पदों में से फिलहाल 25 जज हैं, यानी जजों के 6 पद खाली हैं.

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