Menu

News of Madhya Pradesh India

Hindi news portal of Bhopal. read regular fresh news of Bhopal, Indore, Gwalior, Jabalpur. whole state reporting with MP News Portal

06 July 2018

नर्मदा पुत्र, साहित्यकार-चित्रकार अमृतलाल बेगड़ का निधन

नर्मदा पुत्र बेगड़ निधन

जबलपुर: प्रसिद्ध लेखक, साहित्यकार और पर्यावरणविद् अमृतलाल वेगड़ का शुक्रवार को निधन हुआ. मध्यप्रदेश जबलपुर के 90 वर्षीय वेगड़ कई प्रतिभाओं के धनी थे. उन्होंने दो बार 1977 में जब वह 50 वर्ष के थे, दूसरी बार 2002 में 75 की उम्र में नर्मदा परिक्रमा थी. नर्मदा व सहायक नदियों की 4000 किमी से भी अधिक की पदयात्रा की. वह अस्थमा की बीमारी से पीड़ित थे, कुछ माह पहले उनका प्रोस्टेट का ऑपरेशन हुआ था, कुछ समय से वेंटिलेटर पर थे. वे साहित्य अकादमी पुरस्कार, वेगड़ महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार, गुजराती और हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार, जैसे अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित थे. अमृतलाल नर्मदा पुत्र के नाम से भी विख्यात थे.

वेगड़ जी की अंतिम यात्रा उनके निवास 1836 राइट टाउन जबलपुर, अरुण डेरी के पास से ग्वारीघाट मुक्तिधाम पहुंची. जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ. वे अपने पीछे शोकाकुल पत्नी कांता वेगड़ और पांच बेटे शरद, दिलीप, नीरज, अमित, राजीव वेगड़ को छोड़ गए हैं.

अमृतलाल वेगड़ का जन्म 3 अक्टूबर 1928 में जबलपुर में हुआ. 1948 से 1953 तक शांति निकेतन में उन्होंने आर्ट की पढ़ाई की. अमृतलाल ने नर्मदा के ऊपर चार किताबें लिखी हैं. 'अमृतस्य नर्मदा', 'तीरे-तीरे नर्मदा' और 'नर्मदा तुम कितनी सुंदर हो' और 'सौंदर्य की नदी नर्मदा' जिसे काफी प्रसिद्धि मिली. 'सौंदर्य की नदी नर्मदा' सहित वृत्तांत की उनकी तीन पुस्तकें हिन्दी, गुजराती, मराठी, बंगला, अंग्रेजी और संस्कृत में प्रकाशित हुई.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वेगड़ को श्रद्धांजलि अर्पित की है. उन्होंने ट्वीट किया मूर्धन्य साहित्यकार वेगड़ को श्रद्धांजलि, आपका जाना पर्यावरण, साहित्य और नर्मदा सेवकों सहित देश के लिए अपूरणीय क्षति है. ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें.

वे कहते थे 'कोई वादक बजाने से पहले देर तक अपने साज के सुर मिलाता है, उसी प्रकार हम इस जन्म में नर्मदा मैया के सुर मिलाते रहे, परिक्रमा तो अगले जन्म में करेंगे'.

वे उन चित्रकारों और साहित्यकारों में से थे, जिन्होंने नर्मदा की पदयात्रा की और नर्मदा अंचल में फैली बेशुमार जैव विविधता से दुनिया को रूबरू कराया. उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए उल्लेखनीय काम किया.

Retrieved from(websites).

comments powered by Disqus