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24 May 2018
एवरेस्ट फतह करने वाली मप्र की पहली महिला बनी मेघा
सीहोर: जिले के छोटे से गाँव भोजनगर की मेघा परमार ने बुधवार सुबह विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट(29029 फीट) पर तिरंगा फ़हराया. झंडा फहराने के बाद उन्होंने यहाँ सीहोर की मिट्टी और पत्थर रख कर पत्थरों से एमपी उकेरा. वे यहां 30 मिनट रुकने के बाद बैस कैंप में वापसी का सफर शुरू किया. गुरुवार शाम को 16 घंटे का सफर तय कर वे वापस बेस कैंप-1 पहुंच गईं. उनके इस कारनामे ने विश्व में मध्य प्रदेश का नाम रोशन किया.
मेघा के ट्रेनर रत्नेश पांडे ने बताया कि -20 डिग्री तापमान में रहने के बाद सामान्य वातावरण में आने में वक्त लगता है.
मेघा ने उनका मिशन पूरा होने पर कहा आज में बहुत खुश हूं. मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा सपना पूरा हुआ है. मैंने बेस कैंप से कैंप नंबर 4 तक का सफर 18 मई को ही पूरा कर लिया था. 7600 मीटर की ऊंचाई और -15 से 20 डिग्री के बीच तापमान था. वातावरण में आक्सीजन लेवल कम हो गया तो शेरपा ने मेरे मास्क से ऑक्सीजन सिलेंडर जोड़ा. ट्रेनर रत्नेश पांडेय और इस सफर को साकार करने वाले माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष आईएएस एसआर मोहंती को याद किया.
उन्हें मास्क लगाने की आदत नहीं थी इससे उनका दम घुटने लगा, शेरपा ने देखा और वो मुझे वापस बेस कैंप ले आए. आक्सीजन लेवल शून्य होने और मास्क नहीं लगाने की जिद की वजह से डॉक्टर्स ने उन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं दी. उन्हें फिर से डॉक्टर्स ने सशर्त आक्सीजन मास्क लगाकर जाने की अनुमति दी.
मेघा ने 20 मई से रवाना होने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. शेरपा ने उन्हें 10 से 15 मीटर की चढ़ाई के बाद ऑक्सीजन सिलेंडर बंद कर खुले वातावरण में सांस लेने की प्रैक्टिस कराई. 22 मई को बर्फीले तूफानों से जूझते हुई कैंप 4 पहुंची. 23 मई को 3 किमी का सफर 15 घंटे में पूरा हुआ. एवरेस्ट फतह करने के लिए मेघा 22 मार्च को सीहोर से रवाना हुई थीं.
मेघा सोशल एक्टिविटी में शुरू से ही सक्रिय रही. 24 वर्षीय मेघा रविंद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की एमएससी(योगा) की छात्रा है.
मेघा एक किसान परिवार में जन्मी गाँव की लड़की है. एवरेस्ट पर जाने के लिए तकरीबन 23 लाख रुपये की भारी रकम की जरुरत होती है, जिसके लिए मेघा साल भर तक भटकती रही, लेकिन उसे एक रुपए की भी मदद नहीं मिली. ऐसे में प्राइवेट कंपनियों और बैंकों ने आगे आकर मेघा के सपने को पंख दिए. शिक्षा बोर्ड के आईएएस मोहंती ने फंड के लिए मेघा को भोपाल में एनसीसी के अधिकारियों से मिलवाया. इसी दौरान एवरेस्ट छू चुके रत्नेश पांडे से भी मेघा की मुलाकात हुई और उन्होंने मेघा को शारीरिक, मानसिक रूप से माउंट एवरेस्ट के सफर के लिए तैयार किया.