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20 September 2018
तीन तलाक पर राष्ट्रपति की मुहर, हो सकती है 3 साल जेल
नई दिल्ली: तीन तलाक(तलाक-ए-बिद्दत) को दंडनीय अपराध बनाने वाले बिल को कानून के रूप में मंजूरी देने वाले अध्यादेश पर बुधवार देर रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर किए. इससे पहले सुबह केंद्र सरकार ने इसे अध्यादेश के तौर पर लागू करने की मंजूरी दी थी. अब एक साथ तीन तलाक देने वाले को तीन साल तक की सजा हो सकती है. राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पास ना होने के बाद सरकार को अध्यादेश का रास्ता अपनाना पड़ा. केंद्र सरकार का यह अध्यादेश छह महीनों तक कानून के तौर पर काम करेगा. छह महीने में इस विधेयक को राज्यसभा से पास कराना होगा. तीन तलाक बिल इससे पहले संसद के बजट सत्र और मानसून सत्र में पेश किया गया था. मुस्लिम महिला(विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक लोकसभा में पास हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में लंबित है.
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था. संशोधित तीन तलाक अध्यादेश में यह अपराध संज्ञेय तभी होगा, जब महिला या उसके परिजन खुद इसकी शिकायत करेंगे. पड़ोसी या कोई अनजान शख्स इस मामले में केस दर्ज नहीं कर सकता है. तीन तलाक पर कानून में छोटे बच्चों की कस्टडी मां को दिए जाने का प्रावधान है. पत्नी और बच्चे के भरण-पोषण का अधिकार मजिस्ट्रेट को तय करना होगा. और ये पति को देना होगा. इस मामले में पुलिस को पति को गिरफ्तार करने का अधिकार होगा. इसके अलावा मजिस्ट्रेट महिला का पक्ष सुने बिना आरोपी पति को जमानत नहीं दे पाएंगे.
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वोट बैंक के दबाव में कांग्रेस ने तीन तलाक बिल को समर्थन नहीं दिया. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा मोदी जी नहीं चाहते कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिले. हमने गुजारा भत्ते का सुझाव दिया. मोदी सरकार ने इसे नहीं माना. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने कहा कि सरकार इस पर जबरदस्ती अध्यादेश लाई है.