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13 April 2019

जलियांवाला बाग़ नरसंहार 100वी वर्षी पर शहीदों को नमन

जलियांवाला बाग़ 100वी वर्षी

अमृतसर: जलियांवाला बाग नरसंहार की 100वीं बरसी पर शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आदि नेताओं ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू सहित तमाम गणमान्य हस्तियों ने मेमोरियल पहुंचकर शहीदों को याद किया. भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर डोमिनिक एस्किथ ने सुबह जलियांवाला बाग स्मारक पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. विजिटर डायरी नोट में जलियांवाला बाग की घटना को ब्रिटिश-भारत इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना करार दिया. शनिवार को जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए शताब्दी समारोह का आयोजन किया जा रहा है.

जलियांवाला बाग़ 100वी वर्षी कांग्रेस राहुल गांधी

शुक्रवार शाम राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैंडल मार्च निकालकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. शनिवार को पूरे शहर में सुबह से जुलूस निकाल कर जलियांवाला बाग के शहीदों को याद किया गया. लोगो ने मौन जुलूस निकालकर शहीदों को श्रद्धां‍जलि दी.

जलियांवाला बाग़ 100वी वर्षी ब्रिटिश हाई कमीशनर अमृतसर

13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन ब्रिटिश सैनिकों ने निहत्थे भारतीयों पर गोलियां बरसाई थीं. ये सभा पंजाब के दो लोकप्रिय नेताओं की गिरफ्तारी और रोलेट एक्ट के विरोध में रखी गई थी. अमृतसर जिले में ऐतिहासिक स्वर्ण मंदिर के नजदीक जलियांवाला बाग नाम के इस बगीचे में अंग्रेजों की गोलीबारी से घबराई बहुत सी औरतें अपने बच्चों को लेकर जान बचाने के लिए कुएं में कूद गईं. निकास का रास्ता संकरा होने के कारण बहुत से लोग भगदड़ में कुचले गए और हजारों लोग गोलियों की चपेट में आए. हजारो भारतीय इस घटना में शहीद हो गए हे.

भारत माँ के वीर सपूत ऊधम सिंह ने इस बर्बर जलियांवाला बाग नरसंहार का 13 मार्च, 1940 को बदला लिया था. जब प्रतिशोध स्वरूप लंदन जाकर पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गर्वनर माइकल ओ डायर की हत्या कर दी थी. उन्हें 31 जुलाई 1940 को फांसी पर चढ़ा दिया गया था.

फरवरी में ही पंजाब विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित हुआ था, जिसके तहत केंद्र पर दुनिया के सबसे बड़े नरसंहारों में शामिल जलियावाला बाग कांड के लिए ब्रिटिश सरकार से माफी की मांग करने के लिए दवाब डालने की बात कही गई. बता दें कि तीन दिन पहले ब्रिटिश सरकार ने इस नरसंहार के लिए माफी मांगी थी. ब्रिटिश संसद में प्रधानमंत्री ने दुखद कांड पर खेद व्यक्त कर चुके हैं. 2014 में जब डेविड कैमरून जलियांवाला बाग आए थे तो उन्होंने भी खूनी कांड को शर्मनाक बताया था.

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