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27 August 2019
मध्य प्रदेश और झारखंड शिशु कुपोषण रिपोर्ट में अव्वल
भोपाल: बच्चों की कुशलता मापने वाले एक सूचकांक में झारखंड और मध्य प्रदेश देश में सबसे निचले पायदान पर रहा. दोनों राज्यों में शिशुओं के जीने की कम दर है. सूचकांक का आंकलन बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी विकास, सकारात्मक संबंध और संरक्षण संबंधी मानको को अध्ययन करके किया गया है. सूचकांक में केरल ने स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षण सुविधाओं में जबरदस्त उपलब्धि हासिल कर शीर्ष स्थान हासिल किया है. मंगलवार को 'द चाइल्ड वेल-बीइंग इंडेक्स' की रिपोर्ट प्रकाशित हुई.
सूचकांक में केरल के बाद तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश शीर्ष पर रहे. वहीं सबसे निचले पायदानों पर क्रमश: मेघालय, झारखंड और मध्य प्रदेश आये हैं.
रिपोर्ट से तीन मानकों के आधार पर बच्चों की कुशलता, उनकी सेहत को मापा जाता है. गैर सरकारी संगठनों वर्ल्ड विजन इंडिया और आईएफएमआर लीड ने इस सूचकांक को विकसित किया है. इसके तहत प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में बच्चों की स्थिति का आकलन किया जाता है.
कुपोषण को दूर करने के लिए भले ही सरकारें तमाम दावे कर रही हों, लेकिन हकीकत इससे कोसो दूर ही नज़र आती है. भारत में मातृ एवं बाल स्वास्थ्य और पोषण से संबंधी 30 से अधिक सरकारी कार्यक्रम और योजनाएँ हैं, परंतु इसके बावजूद भी भारत कुपोषण के संकट से जूझ रहा है. राष्ट्रीय पोषण मिशन योजना भी अन्य सरकारी योजनाओं की तरह ही आवंटित राशि के आंशिक प्रयोग का सामना कर रही है. वर्ष 2018-19 में आवंटित कुल संसाधनों का मात्र 16 प्रतिशत ही प्रयोग में लाया गया था.