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25 June 2019

देश में इमरजेंसी के 44 साल हुए पूरे, विपक्ष पर हमला

इमरजेंसी के 44 साल पूरे

नई दिल्ली: देश इमरजेंसी लगने के 44 साल पूरे हुए. इमरजेंसी के दौरान प्रेस से लेकर सभी अधिकारों पर पहरा लगा दिया गया था. बोलने की भी आजादी छीन ली गई थी. नागरिकों के सभी मूल अधिकार खत्म कर दिए गए थे. राजनेताओं को जेल में डाल दिया गया था. इमरजेंसी की बात को लेकर विपक्ष और सत्ता दल आमने सामने आ गए हैं. पीएम मोदी ने इमरजेंसी का वीडियो ट्वीट किया. गृहमंत्री अमित शाह ने इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए लोकतंत्र की हत्या की गई थी.

12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी की जीत को गलत करार देते हुए इसे अवैध घोषित किया था. हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था. इतना ही नहीं, इंदिरा गांधी पर छह साल तक के लिए चुनाव लड़ने या कोई पद संभालने पर भी रोक लगा दी गई थी. उनकी रायबरेली लोकसभा सीट रिक्त घोषित कर दी गई थी. लेकिन इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहने की इजाजत दे दी गई थी.

इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित करने के बाद देश में आपातकाल की स्थिति निर्मित हो गई थी. लोकतंत्र को आपातकाल का दंश झेलना पड़ा. यह आपातकाल ज्यादा दिन नहीं चल सका. करीब 19 महीने बाद लोकतंत्र फिर जीता, लेकिन इस जीत ने कांग्रेस पार्टी की नीव हिला दी थी. 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई थी जो 21 मार्च 1977 तक लगी रही. मार्च में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी और संजय गांधी दोनों ही चुनाव हार गए.

आपातकाल लागू होने के बाद इंदिरा गांधी को असाधारण शक्तियां मिल गईं थी. इसके तहत बिना वारंट के लोगों को गिरफ्तार कर अनिश्चितकाल तक जेलों में रखा जा सकता था. विपक्षी नेताओं जैसे जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, चरण सिंह, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, राजनारायण के अलावा सैकड़ों नेताओं, कार्यकर्ताओं को मीसा एक्ट(मेंटीनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था. तमिलनाडु में एम करुणानिधि सरकार को बर्खास्त कर दिया गया. कई राजनीतिक दलों को प्रतिबंधित कर दिया गया. विपक्षी दलों के नेताओं को जेलों में ठूंस दिया गया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया गया. आपातकाल के दौरान संजय गांधी और उनके दोस्तों की चौकड़ी ही देश को चला रहे थे. नसबंदी को जबरिया लागू करते हुए अनेक अविवाहित लोगों को भी इसके लिए मजबूर किया गया.

देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल के दंश की कई पीढ़ियां भुक्तभोगी हैं. तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी. 26 जून को रेडियो से इंदिरा गांधी ने इसे दोहराया था. इसे भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय भी कहा जाता है.

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