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26 May 2019

राज्य की दो बेटियों ने माउंट एवरेस्ट पर लहराया तिरंगा

माउंट एवरेस्ट तिरंगा लहराया मेघा परमार

छिंदवाडा/सीहोर: राज्य की दो बेटियों ने फ़हराया तिरंगा. जिले के आदिवासी अंचल तामिया गांव की बेटी भावना डेहरिया ने 8848 मीटर ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह किया. 27 वर्षीय भावना ने ये कारनामा 22 मई बुधबार को किया. उसका बचपन से माउंट एवरेस्ट को फतह करने का सपना था. भावना-मेघा ने छिंदवाड़ा सहित मध्यप्रदेश का नाम गौरवान्वित किया है. वे मप्र की पहली ऐसी पर्वतारोही बन गई, जिसने सबसे कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर ली है. भावना के गांव में उत्सव जैसा महौल है. सीएम कमलनाथ ने उन्हें बधाई दी है.

माउंट एवरेस्ट तिरंगा लहराया भावना डेहरिया

भावना व उसके माता-पिता बिटिया की कामयाबी से बहुत खुश हैं, माता-पिता पेशे से शिक्षक है.

भावना अपने मिशन पर 3 अप्रैल को रवाना हुई थी. भावना ने 20 मई को एवरेस्ट कैम्प3(7400 मीटर) से शुरुआत कर 21 मई को कैम्प4 पर पहुंची. वहां से रात्रि में अपने अभियान को पूरा करते हुए भावना ने 22 मई की सुबह दुनिया के सबसे उंचे शिखर माउंट एवरेस्ट(8848 मीटर) पर विजय प्राप्त कर ली. भावना बीएनएस कालेज भोपाल में फिजिकल एजुकेशन में एमपीईडी मास्टर्स कोर्स कर रही हैं. उत्तरकाशी में माउंटेनियरिंग का कोर्स किया है. हिमालय के डीकेडी तथा मनिरंग अभियान में भी सफलता के झंडे गाड़े हैं. वो अन्य लड़कियों को भी पर्वतारोहण के लिए प्रशिक्षित करना चाहती है.

पर्वतारोही डेहरिया को अपने एवरेस्ट मिशन के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 27 लाख की आर्थिक मदद की थी. भावना ने एशियन ट्रेकिंग प्रायवेट लिमिटेड के माध्यम से अपना यह सफर और लक्ष्य पूरा किया.

वही राज्य की दूसरी पर्वतारोही सीहोर जिले के भोज नगर की 25 वर्षीय मेघा परमार ने भी 22 मई को विश्व की सबसे ऊंची माउंट एवरेस्ट(सागर माथा) पर फहराया तिरंगा, ऐसा करने वाली प्रदेश की पहली महिला बनी. वह किसान की पुत्री है. मेघा के पिता दामोदार परमार किसान हैं और मां मंजू देवी गृहिणी है. मेघा को माउंट एवरेस्ट समिट की प्री ट्रेनिंग मध्यप्रदेश के पर्वतारोही रत्नेश पांडे ने दी थी. 21 मई की रात कैंप से तिरंगा और सीहोर की मिट्‌टी लेकर रवाना हुई मेघा परमार ने 22 मई की सुबह करीब 5 बजे 8860 मीटर की ऊंचाई वाले एवरेस्ट शिखर पर तिरंगा फहराकर एवरेस्ट समिट कंपलीट किया. मनाली में ट्रेनिंग के दौरान ऊंचाई से गिरने के कारण रीढ़ की हड्‌डी में तीन फ्रेक्चर हुए. इलाज कर रहे डॉक्टर्स ने मेघा को एवरेस्ट समिट का सपना छोड़ने और पहाड़ नहीं चढ़ने की सलाह दी थी. लेकिन, एवरेस्ट शिखर छूने का सपना पूरा करने फ्रेक्चर ठीक होने के बाद दोबारा माउंटेनिंग प्रैक्टिस शुरू की और सफल हुई. कैंप से एवरेस्ट शिखर के बीच ग्रुप में शामिल तीन साथियों की सेहत बिगड़ गई. मजबूरन तीनों को एवरेस्ट समिट कंपलीट किए बिना लौटना पड़ा.

गौरतलब है कि इसी 22 मई को ही दोनों लडकियों सीहोर की 25 वर्षीय मेघा परमार और छिंदवाड़ा के तामिया की रहने वाली 27 वर्षीय भावना डेहरिया ने भी एवरेस्ट समिट कंपलीट किया था.

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