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14 October 2019
अर्थशास्त्र नोबेल पुरुस्कार भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी को
नई दिल्ली: भारतीय मूल के अभिजीत को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया. पीएम मोदी ने अभिजीत को जीत के लिए बधाई दी. उन्होंने बाकी दो पुरस्कार विजेताओं एस्तेय डिफ्लो और माइकल क्रेमर को भी बधाई दी है. फ्रांसीसी अर्थशास्त्री एस्तेय डिफ्लो उनकी पत्नी है. अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से तीन लोगो अभिजीत बनर्जी, एस्थर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को दिया गया है.
पीएम मोदी ने बधाई दी, कहा- गरीबी उन्मूलन में उन्होंने अहम योगदान दिया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी बधाई दी.
नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी का बड़ा बयान, कहा- भारतीय अर्थव्यवस्था डगमगाती स्थिति में है. वे गरीबी उन्मूलन के लिए पिछले 20 सालो से शोध कर रहे थे. 21 साल बाद अर्थशास्त्र का नोबल किसी भारतीय मूल के अर्थशास्त्री को मिला है, इससे पहले 1998 में प्रोफेसर अमर्त्य सेन को ये सम्मान मिला था.
अभिजीत पीएम मोदी की नोटबंदी योजना के कटु आलोचकों में से एक रहे हैं. वे कांग्रेस की NYAY योजना के सलाहकारों में से एक हैं.
अभिजीत बनर्जी का जन्म मुंबई में हुआ, उनके माता-पिता भी अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे. उनके पिता कोलकाता के मशहूर प्रेसिडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख थे. अभिजीत ने कोलकाता यूनिवर्सिटी में शुरुआती पढ़ाई की. इसके बाद अर्थशास्त्र में एमए के लिए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय आ गए. इसके बाद हावर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में साल 1988 में पीएचडी की. 58 साल के अभिजीत बनर्जी फिलहाल अमेरिका की मेसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं.
नोबेल पाने वाले भारतीय और भारतवंशी नागरिकों में रवींद्रनाथ टैगोर(1913), सीवी रमन(1930), हरगोविंद खुराना(जीव), मदर टेरेसा(1979), सुब्रमण्यन चंद्रशेखर(1983), अमर्त्य सेन(1998), वेंकटरमण रामकृष्णन(2009), कैलाश सत्यार्थी(2014) शामिल है.
मध्य प्रदेश के कैलाश सत्यार्थी को साल 2014 में शांति के नोबेल से सम्मानित किया गया, वे बच्चों के अधिकार के क्षेत्र में काम करने वाले और बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक है. उन्हें यह सम्मान पाकिस्तान की बाल अधिकार कार्यकर्ता मलाला युसुफजई के साथ संयुक्त रूप से दिया गया था. कैलाश सत्यार्थी का जन्म 11 जनवरी 1954 को मध्यप्रदेश के विदिशा में हुआ था. पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर रहे सत्यार्थी ने 1980 में बचपन बचाओ आंदोलन की स्थापना की थी. इसके बाद वे दुनियाभर के 144 देशों के 83,000 से ज्यादा बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर चुके हैं.