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18 August 2020 Updated: Aug. 21
पद्म पुरुस्कार विजेता पंडित जसराज पंचतत्व में विलीन
मुंबई: शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध गायक रसराज पंडित जसराज का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया. अमेरिका के न्यू जर्सी में सोमवार को कार्डिएक अरेस्ट से निधन हो गया था. पिछले कुछ समय से वै अपने परिवार के संग अमेरिका में ही थे. पंडितजी की पार्थिव देह बुधवार को मुंबई पहुंची. तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर को दर्शन के लिये उनके वर्सोवा स्थित आवास पर रखा गया था. विले पार्ले के पवन हंस शमशान घाट पर 21 बंदूकों की सलामी के बाद पंडित जसराज के बेटे सारंग देव पंडित ने अंतिम संस्कार की रस्में निभाईं.
कोरोना वायरस महामारी के कारण अंतिम संस्कार में सिर्फ 25-30 लोगों की मौजूदगी की इजाजत थी. अंतिम क्रियाकर्म में पोती श्वेता पंडित, संगीतकार जतिन पंडित, गायक अनूप जलोटा, कैलाश खेर और अन्य लोग मौजूद थे.
देश में गायकों एवं कलाप्रेमियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. फिल्मकार संजय लीला भंसाली, गायिका श्रेया घोषाल और पंडित रोनू मजूमदार समेत फिल्म उद्योग के कई लोग महान गायक को अंतिम श्रद्धांजलि देने उनके आवास पहुंचे.
वे 90 साल के थे उनका 28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार में जन्म हुआ था. मेवाती घराना से ताल्लुक रखते थे. केवल 14 साल की उम्र में उन्होंने शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण लिया था. अपने बड़े भाई पंडित प्रताप नारायण से तबला वादन भी सीखा था. उन्होंने जसरंगी जुगलबंदी और मधुराष्टकम् की रचना की थी. पंडित जसराज को भारत सरकार ने पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. उनके पिता पंडित मोतीराम मेवाती घराने के संगीतज्ञ थे. उनका परिवार 4 पीढ़ियों से शास्त्रीय संगीत की परंपरा को आगे बढ़ा रहा था. वे 8 दशकों तक भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत में छाए रहे.