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31 July 2020 Updated: Aug. 01
नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिली, 34 साल बाद व्यवस्था बदली
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को देश में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी. मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया गया. नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. यह फैसला मोदी कैबिनेट की बैठक के दौरान लिया गया है. बैठक में इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के कस्तूरीरंगन कमेटी द्वारा तैयार राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है. वर्ष 2035 तक उच्च-व्यावसायिक शिक्षा में पंजीकरण मौजूदा प्रतिशत 26.3 से बढ़ाकर 50 फीसदी तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.
पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी होगी ताकि शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त अव्यवस्था को खत्म किया जा सके. 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था. इससे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी. सरकार ने शिक्षा नीति को लेकर दो समितियां बनायी थीं. एक टीएसआर सुब्रमण्यम समिति और दूसरी डॉ. के कस्तूरीरंगन समिति बनाई गयी थी.
कक्षा 5वीं तक पढ़ाई अब मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में और स्नातक तक प्रवेश के लिए एक ही परीक्षा होंगी. नर्सरी से स्नातक तक के पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचे को चार हिस्सों में बांटा गया है. मेडिकल और विधि शिक्षा के अलावा पूरी उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक होंगा. अब शिक्षा पर जीडीपी का 6 फीसदी खर्च होगा, अब तक 4.43 फीसदी था. अब सरकारी-निजी संस्थानों, सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी परीक्षा आयोजित करेगी. वहीं, पढ़ाई का दबाव कम करने के लिए कोर्स घटाया जाएगा तथा छठवीं कक्षा से ही व्यावसायिक पढ़ाई होंगी. विज्ञान समेत सभी विषयों की किताबें भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होंगी.
मल्टीपल एंट्री और एग्जिट व्यवस्था(बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के ग्रैंड फिनाले(Grand Finale of Smart India Hackathon 2020) को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह नौकरी करने वाला के बजाय नौकरी देने वाला बनाने पर जोर देती है.