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10 March 2020
सिंधिया इस्तीफा, अल्पमत मे कांग्रेस कमलनाथ सरकार
भोपाल: कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफ़े के बाद राज्य की कमलनाथ सरकार अल्पमत मे पहुंची. सिंधिया समर्थक 22 बागी विधायको ने पार्टी का साथ छोड़ा. बेंगलुरु में ठहरे थे बागी विधायक. कांग्रेस नेताओं ने अपना इस्तीफा बीजेपी नेता के हाथों स्पीकर को भिजवाया. सरकार समर्थक सपा के एक और बसपा के 2 विधायक ने भी पूर्व सीएम शिवराज सिंह मुलाक़ात की. बागी 6 मंत्रियों को निकालने के लिए सीएम कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन को चिट्ठी लिखी.
कांग्रेस के असंतुष्ट विधायक बिसाहूलाल सिंह ने भी पार्टी छोड़ दी है. वो बीजेपी में शामिल हो गए हैं. इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद टण्डन भी इस्तीफा दे दिया. सिंधिया के बाद शिवपुरी से इस्तीफों का सिलसिला शुरू हो गया. प्रदेश कांग्रेस महासचिव हरवीर सिंह, प्रदेश कांग्रेस सचिव राकेश जैन अमोल, विजय शर्मा, शहर कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धांत लड़ा ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उज्जैन से कांग्रेस विधायक रहे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक राजेन्द्र भारती ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार सुबह अमित शाह के साथ पीएम मोदी से मूलाकात कर कांग्रेस से इस्तीफ़े की घोषणा की. सिंधिया ने इस्तीफे में कहा है कि वे जनसेवा के लिए राजनीति में आए हैं और बीते कुछ समय से कांग्रेस में रहते हुए ऐसा नहीं कर पा रहे थे. सिंधिया के इस्तीफा के बाद भोपाल में कांग्रेस मुख्यालय में लगी उनकी नेम प्लेट हटा दी गई.
माधवराव सिंधिया की 75वीं जयंती पर सिंधिया के फैसले को कांग्रेस पार्टी ने गद्दारी बताया. लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन बोले- हमारी सरकार गई.
सिंधिया पार्टी से नाराज थे न उन्हे राज्यसभा उम्मीदवार बनाया जा रहा था न ही प्रदेश पार्टी अध्यक्ष. सिंधिया ने इससे पहले भी किसानों का मुद्दा उठाया कि पार्टी ने जो वादा किसानों के साथ किया था, उसे पूरा करें. उन्होंने टीकमगढ़ में स्थायी शिक्षकों का मुद्दा भी उठाया. इन मसलों पर सड़क पर उतरने की बात भी कही. इसके जवाब में कमलनाथ ने बहुत ही अहंकार के साथ कहा था कि वे उतरना चाहते हैं तो उतर जाए. सिंधिया के मुद्दों को कमलनाथ ने महत्व नहीं दिया और उन्होने पार्टी से इस्तीफा दे दिया.