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17 November 2020

सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार फर्जी खबर रोकने तंत्र बनाए

केंद्र फर्जी खबर रोके

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार फर्जी खबर के खिलाफ अपनी शक्ति का उपयोग करे. सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कोविड-19 महामारी की शुरुआत के दौरान तब्लीगी जमात मंडली पर मीडिया रिपोर्टिग से संबंधित एक मामले में केंद्र के हलफनामे पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की. शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा कि वह 'टीवी पर पेश की जा रही सामग्री के मुद्दों को देखने के लिए एक तंत्र विकसित करे या फिर अदालत ये काम किसी बाहरी एजेंसी को सौंप दे'. केंद्र को 3 हफ्तों में फर्जी खबरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है, यह बताने के लिए भी कहा है.

कोर्ट ने कहा फर्जी खबरों पर लगाम लगाई जाए. सरकार फर्जी खबरों के लिए एक तंत्र विकसित करे. सरकार के पास अधिनियम के तहत शक्ति है. 50 झूठी रिपोर्टिंग का संज्ञान लिया गया.

मुख्य न्यायाधीश एस.ए.बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि अदालत इस मामले में केंद्र के हलफनामे से खुश नहीं है. पूछा कि सरकार के पास इस तरह की शिकायतों को सुनने के लिए केबल टीवी नेटवर्क अधिनियम के तहत कौनसी शक्तियां हैं. वह केबल टीवी की सामग्री को कैसे नियंत्रित कर सकती है.

इससे पहले अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा था कि जब तक हम निर्देश नहीं देते हैं, तब तक सरकारें काम नहीं करती हैं.

शीर्ष अदालत ने इस याचिका में नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन(एनबीए) को एक पक्ष बनाने का सुझाव दिया था. वहीं प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया(पीसीआई) के वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी थी कि उसने झूठी रिपोर्टिग के 50 मामलों का संज्ञान लिया है. उसे ऐसी लगभग 100 शिकायतें मिली थीं.

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